राजनांदगांव : जिले मेंदर्री एनीकट बहने के मामले में राज्य सरकार को दोहरा नुकसान हुआ है. दर्री एनीकट बहने के बाद एनीकट के किनारे किसानों की जमीन भी चली गई. वहीं 13 करोड़ की जल आवर्धन योजना पर भी ग्रहण लग (Eclipse on crores of water augmentation scheme) गया. प्रदेश का यह पहला मामला है. जहां एक योजना में बरती गई लापरवाही और व्याप्त भ्रष्टाचार का सीधा नुकसान दूसरी योजना को उठाना पड़ रहा है. इसके बाद भी राजनांदगांव कलेक्टर डोमन सिंह ने जल संसाधन के ईई जीडी रामटेके को अभय दान दे दिया है. विभाग के दोषी अफसरों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजनांदगांव जिला प्रशासन सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के प्रति कितना गंभीर है.
क्या है पूरा मामला :बता दें कि दर्री एनीकट बहने के मामले में अब तक दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई है. गुरुवार को कलेक्टर डोमन सिंह ने मौके पर पहुंचकर पूरी स्थितियों का जायजा लिया. जहां उन्होंने एनीकट का एक सिरा बहने से किसानों को हुए नुकसान को करीब से देखा. वहीं दूसरी ओर एनीकट बहने के बाद तकरीबन 13 करोड़ की लागत से बनने वाले जल आवर्धन योजना के संचालन की संभावना को भी (water augmentation scheme in Rajnandgaon ) जाना. इसके बाद भी अब तक कलेक्टर ने इस मामले में किसी भी दोषी अफसर पर कार्रवाई नहीं की है. उन्होंने कहा है कि इस मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. लेकिन यहां पर यह सवाल उठ रहा है कि जब किसानों और भाजपा नेताओं ने स्पष्ट तौर पर जल संसाधन विभाग को एनीकट में जल का भराव ज्यादा होने के बाद गेट खोलने के लिए लगातार आवेदन किया तो इस मामले में क्यों कार्रवाई नहीं की गई.
समय रहते गेट खुलते तो बच जाती जमीन :समय रहते अगर एनीकट के गेट खोल दिए जाते तो आज किसानों की जमीन सुरक्षित होती और तकरीबन 13 करोड़ की लागत से बनने वाले जल आवर्धन योजना पर भी ग्रहण नहीं लगता. मौके का मुआयना करते हुए कलेक्टर ने सारी खामियों को करीब से देखा है फिर भी अब तक इस मामले में किसी भी अफसर को ना तो सस्पेंड किया गया है और ना ही कोई नोटिस जारी की गई है. इसके बाद अब जिला प्रशासन की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
जिम्मेदारों पर होनी चाहिए कार्रवाई :इस मामले में भाजपा नेता राम कुमार गुप्ता का कहना है कि ''जिला प्रशासन के अफसर अपनी आंखों से सीधे तौर पर लापरवाही देख रहे हैं. बावजूद दोषी अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. एनीकट के गेट खोलने के लिए लगातार विभागीय अफसरों से किसान मिन्नतें करते रहे. लेकिन फिर भी अफसरों ने किसानों की एक नहीं सुनी. नतीजा यह रहा कि किसानों की तकरीबन 10 एकड़ खेती की जमीन बाढ़ की चपेट में आ गई और अब ना तो किसानों के पास खेती के लिए जमीन बची है और ना ही आजीविका का साधन.''