राजनांदगांवः सरकार प्रवासी मजदूरों की मदद को लेकर लाख दावे तो कर रही है, लेकिन कहीं न कहीं ये दावे झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं. मंगलवार को राजनांदगांव के बॉर्डर इलाके बाघ नदी के पास एक बुजुर्ग प्रवासी मजदूर की मौत हो गई. जिसकी सूचना मिलने पर पुलिस तो मौके पर पहुंची, लेकिन चार घंटे बीत जाने के बाद भी शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं भेजा गया. मृतक की बहन तपती धूप में लाश को लेकर बैठी रही, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा. ऐसी स्थिति में जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के काम को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं.
मृतक का नाम सपतउल्ला शेख अंजुरा है, जो वेस्ट बंगाल का रहने वाला है. बताया जा रहा है कि मृतक और उसकी बहन बस के जरिए महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ के बॉर्डर बाघनदी तक तो पहुंच गए, लेकिन इस बीच सपत की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई और अचानक उसकी मौत हो गई. पुलिस ने मौत की प्राइमरी सूचना दर्ज कर ली, लेकिन लाश को तकरीबन 4 घंटे तक पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं भेजा जा सका. जिससे बॉर्डर इलाके में मजदूरों की मदद और स्वास्थ्य सुविधाएं दिए जाने का दावा नाकाम साबित होता नजर आया.