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सावन स्पेशल: कोरोना काल में नैया पार लगाएंगे महाकाल

कोरोना महामारी की वजह से सभी देवालयों के पट बंद कर दिए गए हैं. श्रद्धालु भगवान तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, इस दौरान राजनांदगांव के शिव भक्त इस कोरोना महामारी को जल्द खत्म करने के लिए भगवान भोलेनाथ को मनाने में जुट गए हैं. इसके लिए भक्त 11 लाख 11,000 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उनकी पूजा-अर्चना कर रहे हैं.

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पार्थिव शिवलिंग निर्माण

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Published : Aug 3, 2020, 12:53 PM IST

राजनांदगांव:पूरे देश में कोरोना महामारी तेजी से फैल रहा है. छत्तीसगढ़ में भी दिन-ब-दिन मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस महामारी से बचने के लिए लोग अब देवों के देव महादेव की शरण में जाने लगे हैं. सावन का पावन महीना भोलेनाथ का प्रिय महीना माना जाता है. हर साल लोग कंधे पर कांवड़ लेकर महादेव के लिए जल लेने निकलते हैं, लेकिन इस साल कोरोना महामारी की वजह से सड़क पर झूमते कांवड़िये नजर नहीं आ रहे हैं. लोग अब इस महामारी से बचने के लिए घर पर ही पूजा-अर्चना कर रहे हैं. राजनांदगांव में भगवान महादेव के प्रति श्रद्धा रखने वाले भक्तों ने संकल्प लेकर के 11 लाख 11,000 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उनकी पूजा अर्चना कर रहे हैं. इस संकल्प के जरिए भक्तों ने भगवान शिव शंकर से शहर को कोरोना वायरस से मुक्त करने की कामना की है.

कोरोना से बचने के लिए महादेव की पूजा

कोरोना महामारी ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है. इस बीमारी से बचने के लिए न तो अब तक कोई दवा आई है और न ही वैक्सीन. इस स्थिति में लोगों ने अब भगवान से इस महामारी को दूर करने की कामना की है. कुछ लोगों के समूह ने मिलकर भगवान के पूजा-अर्चना का संकल्प लिया है.

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नियमित पूजा अर्चना कर रहे लोग

गणेश मंदिर समिति से जुड़े वरिष्ठ बीजेपी नेता और समाजसेवी अशोक चौधरी ने बताया कि कोरोना वायरस की महामारी की काली छाया विश्व और भारत से खत्म हो सके, इसके लिए नियमित रूप से शहर के गणेश मंदिर में पार्थिव शिवलिंग की पूजा अर्चना की जा रही है. भक्त नियमित रूप से हर सोमवार को अपने घरों से पार्थिव शिवलिंग बनाकर मंदिर पहुंचते हैं और विधि विधान के साथ पूजा करते हैं.

शिवलिंग की पूजा

11 लाख 11,000 का संकल्प
भक्तों ने सावन महीने के हर सोमवार को मिलाकर कुल 11 लाख 11,000 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने का संकल्प लिया है. अब तक भक्तगण 9 लाख 50 हजार 500 पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर चुके हैं और उनकी विधिवत पूजा-अर्चना भी की जा चुकी है. शेष पार्थिव शिवलिंग का निर्माण लगातार जारी है और सावन के अंतिम सोमवार तक इसे संकल्प के अनुरूप पूरा कर लिया जाएगा.

शिवलिंग का निर्माण करती महिलाएं

जानिए क्या है पार्थिव शिवलिंग

पृथ्वी के अलग-अलग तत्वों से मिलकर बने शिवलिंग का अलग-अलग नाम होता है, जैसे स्फटिक से बने शिवलिंग को स्फटिक शिवलिंग, पारस से बने पारस शिवलिंग कहते हैं. ठीक उसी तरह शुद्ध मिट्टी से बने शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है. पार्थिव शिवलिंग की पूजा अर्चना वर्षों से चली आ रही है. जिस घर में किसी भी प्रकार का कष्ट उत्पन्न होता है. उसे ठीक करने के लिए लोग पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते हैं. शिव पुराण में भी पार्थिव शिवलिंग की पूजा अर्चना और उसके महत्व सहित उनसे मिलने वाले प्रताप को लेकर स्पष्ट उल्लेख किया गया है. अगर भक्तों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से किसी तरीके का कष्ट झेलना पड़ रहा है, तो ऐसी विषम परिस्थितियों में पार्थिव शिवलिंग की पूजा पूरे सावन मास में करने से उनके दुख दूर हो जाते हैं.

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