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कार्तिक के आईडिया ने किया कमाल, पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोकगीत को मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान - Rajnandgaon News

राजनांदगांव. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोक गीत सुआ ददरिया को अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर पहचान दिलाने के लिए कांतिकार्तिक पिछले तकरीबन 8 साल से काम कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने वेस्टर्न इंस्ट्रुमेंटल के जरिए फोक सॉग्स बनाकर लोगों को इससे जोड़ने की बड़ी पहल की है.

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Published : Mar 7, 2019, 12:07 AM IST

कार्तिक ने छत्तीसगढ़ी में 30 से ज्यादा एल्बम बनाए हैं, जिन्हें लोगों का बेहतर रिस्पांस मिल रहा है. इनके यूट्यूब चैनल पर अब तक एक करोड़ से ज्यादा भी व्यूज आ चुके हैं. कांतिकार्तिक के इस प्रयास को देखकर लगता है कि, जल्द ही इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर छत्तीसगढ़ की माटी को नई पहचान मिलेगी.

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लोकगीत के प्रति था झुकाव
शहर के बैजनाथ नगर बसंतपुर में रहने वाले कांति कार्तिक को बचपन से ही छत्तीसगढ़ की माटी से लगाव था. और यही वजह थी कि, उनका झुकाव पारंपरिक लोक गीतों के प्रति ज्यादा था.


माता-पिता ने किया प्रेरित
इसे देखते हुए उनके पिता ने कांति को छत्तीसगढ़ी लोककला और गीत पर नए सिरे से काम करने के लिए प्रेरित किया और इस काम में कांतिकार्तिक बहुत आगे निकल चुके हैं. अब तक उन्होंने 30 से ज्यादा एल्बम बनाएं हैं और यूट्यूब पर चैनल बनाकर छत्तीसगढ़ लोकगीतों को देश के साथ-साथ दुनिया में पहुंचाने का काम किया है.


यूट्यूब के जरिए हो रहे फेमस
लोग लगातार कांति के यूट्यूब चैनल के माध्यम से छत्तीसगढ़ी लोकगीतों से रूबरू हो रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में कांति कार्तिक ने बताया कि 'छत्तीसगढ़ी बोली से लोगों को जोड़ने के लिए उन्होंने वेस्टर्न इंस्ट्रुमेंटल और फोक को मिलाकर तकरीबन 30 से ज्यादा एल्बम बनाएं और इसके पीछे उद्देश्य था कि लोगों को छत्तीसगढ़ी बोली से जोड़ना देश में स्थान दिलाने की सोच थी'.


बचपन से था रुझान
कांति के माता-पिता ने भी कांति के भीतर छत्तीसगढ़ माटी के लगाओ और लोकगीतों के प्रति रुझान को देखते हुए उन्हें इस काम के लिए प्रेरित किया. बस यहीं से उन्हें प्रेरणा मिली और कांति कार्तिक ने लगातार छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में वेस्टर्न इंस्ट्रुमेंटल का प्रयोग किया, ताकि आज की जनरेशन छत्तीसगढ़ी लोकगीतों से आसानी से जुड़ सके.


सरकार करे आयोग का गठन
कांतिकार्तिक का कहना है कि 'वर्तमान में सरकार छत्तीसगढ़ी बोली को लेकर काफी संवेदनशील हुई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कई स्थानों पर छत्तीसगढ़ी में भाषण देते पाए गए हैं. उन्होंने कहा कि 'राज्य सरकार को छत्तीसगढ़ आयोग का गठन करना चाहिए, इससे छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा सकेगा'.


कई जगह हुए पुरस्कृत
कांतिकार्तिक लगातार छत्तीसगढ़ लोक गीतों को नए-नए मंच पर रखने के लिए अलग-अलग पुरस्कारों से नवाजे गए हैं. साल 2013 में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एनएसएस के कार्यक्रम में राष्ट्रपति के हाथों उन्हें सम्मानित किया गया था. इसके अलावा इंडिया-चाइना यूथ एक्सचेंज 2011 में चीन की राजधानी बीजिंग में भारत और छत्तीसगढ़ राज्य की लोक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है.


रमन सिंह ने किया था सम्मानित
इसके साथ ही सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी उन्हें गौरव सम्मान से सम्मानित किया था. इसके साथ ही उन्हे राज्यस्तर पर राज्य युवा सम्मान से भी उन्हें नवाजा गया है.


बच्चों में बांट रहे हुनर
कांतिकार्तिक अपने हुनर को अपने तक सीमित ना रखकर आने वाली पीढ़ियों तक ले जाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं. उन्होंने 'सरकारी स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को छत्तीसगढ़ी लोककला गीत और संस्कृति के संबंध में लगातार उन्हें प्रशिक्षण देते रहते हैं.


कला और संस्कृति से जोड़ने की कोशिश
उनका कहना है कि 'जब तक आने वाली पीढ़ी को छत्तीसगढ़ की लोक कला और संस्कृति से अवगत नहीं कराया जाएगा तब तक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ बोली और लोक कला गीत को मंच नहीं मिल सकता और इसके लिए उन्होंने युवाओं को खासकर कला संस्कृति का ज्ञान देने की बात कही है.

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