राजनांदगांव:बॉलीवुड फिल्मों में दशकों तक धमाल मचाने वाले नत्थू रामटेके उर्फ नत्थू दादा नहीं रहे. उन्होंने 70 साल की उम्र में राजनांदगांव में अंतिम सांस ली. सिल्वर स्क्रीन पर दिग्गज अभिनेताओं के साथ अपनी अदाकारी का जौहर दिखाने वाले नत्थू दादा को हमारे सिस्टम ने एक झटके में भुला दिया. गरीबी और गुमनामी में नत्थू की मौत हो गई लेकिन सत्ता से लेकर सिस्टम तक किसी ने उसकी सुध नहीं ली. ETV भारत ने मई 2018 में नत्थू दादा की खबर दिखाई थी और उनकी पीड़ा को लोगों के सामने रखा था. बावजूद इसके उन्हें सरकार से मदद नहीं मिली.
परिवार ने सरकार से की थी मदद की मांग
उनके परिवार ने भी शासन से मदद की मांग की थी. लेकिन सत्ता के गलियारों ने उनकी आवाज नहीं सुनी.अपनी प्रतिभा के बल पर नत्थू रामटेके ने राजनांदगांव से बंबई तक का सफर तय किया था. दारा सिंह, नत्थू दादा को भिलाई से बंबई लेकर गए. उसके बाद शो मैन राजकपूर ने उन्हें फिल्म मेरा नाम जोकर में ब्रेक दिया. जिससे उनकी एंट्री बॉलीवुड में हुई. नत्थू दादा ने 1970 में बनी राजकपूर की फिल्म ' मेरा नाम जोकर ' में जोकर का रोल अदा किया.उसके बाद नत्थू दादा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने अपने 20 साल के फिल्मी करियर में कई बड़े कलाकारों के साथ फिल्में की. उन्हें दर्शक छत्तीसगढ़ के चार्ली चैपलिन के तौर पर भी जानते हैं.
150 से ज्यादा फिल्मों में नत्थू ने की एक्टिंग
साल 1982 में फिल्म धर्म कांटा की शूटिंग के दौरान एक हादसे में नत्थूराम घायल हो गए उसके बाद वह कभी फिल्मों में वापसी नहीं कर पाए. अपनी फिल्मों से गुदगुदाने और हंसाने वाले नत्थू दादा के जीवन का अंत मजदूरी करते गुरबत में बीतेगा, ऐसा किसी ने सोचा नहीं था. करीब 200 से ज्यादा फिल्मों में नत्थू दादा ने अपने अभिनय का कमाल दिखाया. दारा सिंह, राजकपूर, अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र जैसे दिग्गज अभिनताओं के साथ उन्होंने रुपहले पर्दे पर अदाकारी की. लेकिन अफसोस उनके अंत समय में न तो सरकार ने उनकी मदद की और न ही सिस्टम ने. सरकार कलाकारों की मदद के लिए कई दावे तो करती है. लेकिन दावे कभी सच्चाई में नहीं तब्दील हो पाते हैं.