राजनांदगांव:छत्तीसगढ़ में संस्कारधानी के डोंगरगढ़ का अपना अलग महत्व है. डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी का मंदिर है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं. मां बम्लेश्वरी के दरबार के पास ही बौद्ध धर्म स्थल प्रज्ञागिरी है. राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में रमणीक पहाड़ियों से घिरा हुआ है बौद्ध धर्म का प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल. प्रज्ञागिरी बौद्धों के प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित और छत्तीसगढ़ का गौरव कहलाने लगा है. कभी हर दिन यहां सैकड़ों लोग जाया करते थे, लेकिन कोरोना काल ने यहां भी पाबंदी लगा दी और लोगों के लिए इसे फिलहाल बंद कर दिया गया है.
डोंगरगढ़ क्षेत्र में बौद्ध धर्म के अनुयायी बहुतायत में निवास करते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है, जहां बौद्ध अनुयायियों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है. प्रज्ञागिरी को सजाने और संवारने का पूरा काम समाज से जुड़े लोगों के अथक प्रयासों से ही संभव हो पाया है.
30फीट ऊंची है बुद्ध की प्रतिमा
वैसे तो पहाड़ियों पर काम करना कठिन होता है, लेकिन सभी के सहयोग और मार्गदर्शन से प्रज्ञागिरी पर स्थित 500 फीट ऊंची काली चट्टानों के बीच बौद्ध की मुर्ति स्थापित की गई है. यह प्रतिमा 22 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनी है. 30 फीट ऊंची विशालकाय बुद्ध की प्रतिमा ध्यान मुद्रा में स्थापित की गई है. इतनी ऊंची पहाड़ी पर स्थित प्रतिमा संपूर्ण भारत में अपनी एक अलग पहचान रखती है. इसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते हैं.