छत्तीसगढ़

chhattisgarh

राजनांदगांव: प्रज्ञागिरी पहाड़ में है भगवान बुद्ध की 30 फीट ऊंची प्रतिमा, विदेशों से भी आते हैं पर्यटक

By

Published : Jul 17, 2020, 1:59 PM IST

राजनांदगांव के डोंगरगढ़ में स्थित प्रज्ञागिरी पहाड़ में स्थित है भगवान बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा, जो 30 फीट ऊंची है. इसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं. वहीं हर साल इस जगह 6 फरवरी को विशाल अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया जाता है.

pragyagiri rajnandgaon
प्रज्ञागिरी पहाड़ डोंगरगढ़

राजनांदगांव:छत्तीसगढ़ में संस्कारधानी के डोंगरगढ़ का अपना अलग महत्व है. डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी का मंदिर है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं. मां बम्लेश्वरी के दरबार के पास ही बौद्ध धर्म स्थल प्रज्ञागिरी है. राजनांदगांव जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में रमणीक पहाड़ियों से घिरा हुआ है बौद्ध धर्म का प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल. प्रज्ञागिरी बौद्धों के प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित और छत्तीसगढ़ का गौरव कहलाने लगा है. कभी हर दिन यहां सैकड़ों लोग जाया करते थे, लेकिन कोरोना काल ने यहां भी पाबंदी लगा दी और लोगों के लिए इसे फिलहाल बंद कर दिया गया है.

प्रज्ञागिरी पहाड़ में है भगवान बुद्ध की 30 फीट ऊंची प्रतिमा

डोंगरगढ़ क्षेत्र में बौद्ध धर्म के अनुयायी बहुतायत में निवास करते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ है, जहां बौद्ध अनुयायियों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है. प्रज्ञागिरी को सजाने और संवारने का पूरा काम समाज से जुड़े लोगों के अथक प्रयासों से ही संभव हो पाया है.

30फीट ऊंची है बुद्ध की प्रतिमा

वैसे तो पहाड़ियों पर काम करना कठिन होता है, लेकिन सभी के सहयोग और मार्गदर्शन से प्रज्ञागिरी पर स्थित 500 फीट ऊंची काली चट्टानों के बीच बौद्ध की मुर्ति स्थापित की गई है. यह प्रतिमा 22 फीट ऊंचे चबूतरे पर बनी है. 30 फीट ऊंची विशालकाय बुद्ध की प्रतिमा ध्यान मुद्रा में स्थापित की गई है. इतनी ऊंची पहाड़ी पर स्थित प्रतिमा संपूर्ण भारत में अपनी एक अलग पहचान रखती है. इसे देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते हैं.

हर साल 6 फरवरी को होता है अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन

6 फरवरी 1998 को भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा का अनावरण हुआ था. तब से प्रज्ञागिरी पर हर साल 6 फरवरी को विशाल अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया जाता है. जिसमें जापान, थाईलैंड, श्रीलंका और बौद्ध राष्ट्रों से धर्म गुरुओं के अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रांतों से हजारों की संख्या में बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां पहुंचते हैं. हर साल वहां पहुंचते हैं 6 फरवरी के दिन पर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है.

पढ़ें- SPECIAL: 'देवबावली' में है भगवान शिव और प्रकृति का अनोखा संगम

जानकारी के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकार इस स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ में अपनी किस्म का यहा ऐसा पहला स्थल है, जहां विदेशी पर्यटकों के आवागमन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. इसकी वजह से सरकार को राजस्व की प्राप्ति हो रही है. फिलहाल कोरोना संकट को देखते हुए इस मनमोहक पर्यटन स्थल को बंद किया गया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details