राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में ज्यादातर किसान धान की खेती करते हैं, लेकिन कुछ साल से किसानों ने अन्य खेती की ओर ध्यान भी देना शुरू किया. परंपरागत खेती से हटकर किसानी करने वाले किसान इस बार लॉकडाउन में बड़ा नुकसान झेल रहे हैं. केले के किसानों की लॉकडाउन ने की कमर तोड़ दी है. दरअसल किसानों ने खेती के लिए बड़ी लागत लगाई थी. लेकिन मुनाफा तो दूर इनका मूल तक वापस नहीं आ रहा है.
किसानों को अब इस साल मुनाफे के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं. केले की फसल पककर तैयार भी है. लेकिन फसल बाजारों तक नहीं पहुंच पा रही है, जिसके कारण केले के फसल खेतों में सड़ रही है. इसके अलावा मांग और कीमत दोनों घट गई है. ऐसे में किसान परेशान हैं और किसानों को लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. लॉकडाउन में परिवहन के साधन नहीं होने से किसान अन्य राज्य में भी सप्लाई नहीं भेज पा रहे हैं अब हालात ये हैं कि किसान कर्ज से लद चुके हैं. ईटीवी भारत की टीम ने केले की खेती करने वाले ऐसे ही किसानों के खेतों में जाकर हालातों के जायजा लेने की ठानी. लॉकडाउन का केले की खेती पर असर जानने के लिए हम सबसे पहले जिले के डोंगरगांव ब्लॉक के ग्राम पंचायत सुखरी पहुंचे. जहां सालों से केले की खेती करने वाले किसान दयाराम टांक ने बताया कि इस बार लॉकडाउन होने के कारण परिवहन के साधन बंद हैं. ऐसे में फसल खेत में ही सड़ रही है. उन्होंने बताया कि जैसे ही केले की फसल पक कर तैयार हुई वैसे ही लॉकडाउन लग गया. जिसके कारण परिवहन नहीं हो सका.
बजारों में प्रभाव
वहीं बाजार में केले के दाम में भी गिरावट आ गई 10 से 15 रुपए किलो में बिकने वाला केला अब 2 से 3 रुपए किलो में बिक रहा है. ऐसी स्थिति में केले की तोड़ाई भी नहीं निकल पा रही है. मजदूरों को भी जेब से पैसे दिए जा रहे हैं.