राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ में टूलकिट मामले में कई बीजेपी नेताओं पर FIR दर्ज होने के बाद बीजेपी ऑन डोर प्रोटेस्ट कर रही है. राजनांदगांव में जिला भाजपा कार्यालय के ठीक सामने बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता जुटे थे. बीजेपी विरोध प्रदर्शन शुरू कर ही रही थी कि प्रशासन ने दखल दे दिया. एसडीएम मुकेश रावटे और सीएसपी लोकेश देवांगन ने बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को फटकार लगाई है. साथ ही भाजपा नेताओं को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन किए जाने के लिए समझाइश दी गई है. फिलहाल पुलिस ने इस मामले में किसी भी भाजपा नेता के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध नहीं किया है.
बड़ी संख्या में पहुंचे बीजेपी नेता
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान पर देश भर में टूलकिट मामले पर प्रदर्शन हो रहे हैं. इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में बीजेपी नेता शामिल हो रहे हैं. जिला भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में भी आज ऐसा ही नजारा देखा गया. बड़ी संख्या में भाजपा के नेता प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंचे थे. तख्तियां लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में टूलकिट मामले और बीजेपी नेताओं पर दर्ज किए गए FIR के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए कार्यकर्ता पहुंचे थे.
जानिए छत्तीसगढ़ में क्या है वो टूलकिट मामला, जिस पर गरमाई है राजनीति ?
प्रशासन का दखल
बीजेपी कार्यालय के सामने बड़ी संख्या में नेताओं के इक्कठा होने की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक अमले के साथ एसडीएम मुकेश रावटे मौके पर पहुंचे. जहां उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को स्पष्ट तौर पर समझाइश देते हुए कहा कि प्रदर्शन में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में अगर प्रदर्शन जारी रहा तो वे इस मामले में तत्काल कार्रवाई करेंगे. इस बीच भाजपा नेताओं ने इस बात का विरोध भी किया. लेकिन प्रशासनिक अमले की सख्ती के आगे भाजपा नेताओं की एक न चली. सभी नेता एक-एक कर धरना स्थल से रवाना हो गए. हालांकि एसडीएम ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है.
पुलिस को आगे कर रही सरकार
जिला भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता रविंद्र सिंह का कहना है कि राज्य सरकार भाजपा के प्रदर्शन से डरती है. यही कारण है कि जब भी भाजपा प्रदर्शन करती है तो पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को सामने लाकर प्रदर्शन को रोकने की कोशिश की जाती है. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह कांग्रेसी एजेंटों की तरह काम करना बंद कर दें. उन्होंने कहा कि सत्ता हमेशा एक ही व्यक्ति के पास नहीं रहती. उन्होंने कहा कि प्रदर्शन करना लोकतांत्रिक अधिकार है. राज्य सरकार इसका दमन कर रही है.
क्या है टूलकिट मामला?
कांग्रेस के कथित टूलकिट को लेकर देश की राजनीति गरमाई हुई है. इसका असर छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है. टूलकिट को लेकर बीजेपी लगातार कांग्रेस पर प्रधानमंत्री की छवि खराब करने का आरोप लगा रही है. बीजेपी ने कथित टूलकिट पोस्ट करते हुए कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इधर कांग्रेस ने इस टूलकिट से इनकार करते हुए इसे बीजेपी की साजिश बताई है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. पात्रा ने कहा कि 'इस टूलकिट के जरिए कांग्रेस अपने राजीतिक मंसूबों को पूरा करना चाहती है. इस टूलकिट के जरिए कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए जा रहे हैं कि कैसे काम करें.' छत्तीसगढ़ में पूर्व सीएम रमन सिंह ने कांग्रेस के कथित टूलकिट पर ट्वीट किया था. जिसके बाद रमन सिंह और संबित पात्रा के खिलाफ कांग्रेस ने FIR दर्ज कराई है.
क्या होता है टूलकिट?
टूलकिट एक डिजिटल दस्तावेज होता है. इसे सोशल मीडिया के जरिए शेयर किया जाता है. टूलकिट आमतौर पर किसी मुद्दे को लेकर तैयार किया जाता है. उस मुद्दे पर तैयारियों और आगे का रोडमैप का उल्लेख किया जाता है. टूलकिट में संबंधित मामले से जुड़ा हर अपडेट डाला जाता है.उस मुद्दे से जुड़े अदालती याचिकाओं, प्रदर्शनकारियों की जानकारी, इसे जन आंदोलन बनाने की कोशिश से जुड़ी तमाम सामग्री सूचनाओं के तौर पर उपलब्ध करवाई जाती है. इसमें एक्शन प्वाइंट दिया होता है और उसी के मुताबिक तैयारी की जाती है. सोशल मीडिया पर हैशटैग भी चलाया जाता है.
सीधे शब्दों में कहें तो एक तरह का नोट या डॉक्यूमेंट होता है, जिसमें किसी मामले को लेकर कई जानकारी लिखी होती है. इस डॉक्यूमेंट को इंटरनेट के माध्यम से एक-दूसरे को भेजा जाता है या सोशल मीडिया पर किसी चीज का प्रचार किया जाता है. इसका इस्तेमाल अक्सर आंदोलन या प्रदर्शन में ज्यादातर होता है. इसमें जानकारी दी जाती है कि भीड़ को कहां इकट्ठा होना है, कौन से नारे लगाने हैं और सोशल मीडिया पर किस हैशटैग के साथ अपनी बात रखनी है और किस तरह से आंदोलन को आगे लेकर जाना है. इस तरह देश के साथ छत्तीसगढ़ में फिलहाल टूलकिट मामला चर्चा का विषय बना हुआ है.