रायपुर: नवरात्रि का नौवां और आखरी दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह (Worship of Mata Siddhidatri ) है. माता की चार भुजाएं हैं. माता सिद्धिदात्री अज्ञानता को दूर कर ज्ञान प्रदान करने वाली मानी जाती है. माता सिद्धिदात्री अलौकिक सिद्धियां अष्ट-सिद्धि और नवनिधियां प्रदान करने वाली है. माता का आसन कमल का फूल माना गया है. इस दिन माता सिद्धिदात्री कमल पर सवार होकर आती हैं. इस दिन पूजन और ध्यान लगाने का माना गया है.
इस शुभ दिन कवच, ध्यान मंत्र, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा सहस्त्रनाम, रामचरितमानस, राम सहस्त्रनाम पढ़ना बहुत ही शुभ माना गया है. आज के दिन कुंवारी कन्याओं का पूजन करने का भी विधान है. कुंवारी कन्याओं को श्रद्धा और आस्था के साथ घर बुलाकर पूजा-अर्चना कर आरती उतारकर उन्हें मनपसंद भोजन कराया जाता है. मिष्ठान भोग लगाया जाता है. द्रव्य-दक्षिणा देकर संतुष्टिपूर्वक घर से विदा किया जाता है. जिससे समस्त कामनाएं पूर्ण होती है. माता सिद्धिदात्री को चंपा और लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं. इस दिन हवन करना भी श्रेष्ठ माना गया है. माता को मखाना खीर, लाई का भोग लगाया जाता है.
महानवमी का शुभ दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी (Maryada Purushottam Lord Sri Ramachandra) के जन्म उत्सव का भी शुभ दिन है. आज के शुभ दिन पुष्य नक्षत्र सुकर्म योग बालव कौलव करण कर्क राशि और रविवार के सुंदर संयोग में सर्वार्थ सिद्धि योग अहोरात्र रवि पुष्य नक्षत्र के सुखद संयोग में रामनवमी का पावन पर्व मनाया जाएगा. रामनवमी के दिन रामचरितमानस, राम सहस्त्रनाम आदि किताबों को वितरण करना भी शुभ माना गया है. इस दिन जवारा यात्रा निकाली जाती है. लोग नृत्य करते-गायन करते और सुगम संगीत लोक गीत गाते हुए इस पर्व को सामूहिक रूप से मनाते हैं. कई स्थानों पर भगवान श्री रामचंद्र जी की शोभायात्रा निकाली जाती है.