रायपुर: सावन का पवित्र महीने के तीन सोमवार गुजर चुके हैं. 16 अगस्त को सावन का चौथा सोमवार है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार सावन का चौथा सोमवार भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए बेहद शुभ माना गया है. इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना काफी फलदायक माना जाता है. ऐसे तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप आप हर दिन कर सकते हैं लेकिन सावन के चौथे सोमवार को इस मंत्र का जाप करना जातक के लिए शुभकारी माना गया है.
महामृत्युंजय मंत्र को जानिए
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ.
क्या है महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
इस समूचे संसार के पालनहार, तीन नेत्र वाले भगवान भोलेनाथ की हम पूजा करते हैं. इस पूरी दुनिया में सुरभि फैलाने वाले भगवान शंकर हमें मृत्यु के बंधनों से मुक्ति प्रदान करें. जिससे कि हमे मोक्ष की प्राप्ति हो सके.
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कितनी बार करें
ज्योतिष और पंडितों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का जाप न्यूनतम सवा लाख बार करना ही चाहिए. अगर कोई जातक ऐसा नहीं कर पाता है तो वह कम से कम इस मंत्र का जाप 108 बार जरूर करे. यदि महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख बार जाप कर लिया जाय तो अकाल मृत्यु अर्थात समय से पहले होने वाली मौत का खतरा टल जाता है. धार्मिक मान्यता है कि कुंडली में अगर कम आयु, गंभीर बीमारी या दुर्घटना का योग बना है तो इससे ये सारे दोष टल जाते हैं.महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अच्छी स्वास्थ्य और सकारात्मक उर्जा मिलती है. महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख बार जाप कर लिया जाय तो अकाल मृत्यु अर्थात समय से पहले होने वाली मौत का खतरा टल जाता है. धार्मिक मान्यता है कि कुंडली में अगर कम आयु, गंभीर बीमारी या दुर्घटना का योग बना है तो इससे ये सारे दोष टल जाते हैं
सावन के चौथे सोमवार को पूजा का शुभ समय
- राहुकाल: प्रात: 07 बजकर 32 मिनट से प्रात: 09 बजकर 09 मिनट तक रहेगा.
- अभिजीत मुहूर्त: प्रात: 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक है.
- अभिजीत मुहूर्त पर भोले बाबा की पूजा करना बेहद शुभ माना गया है.
भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कैसे करें
- सोमवार को सुबह जल्दी उठें और साफ कपड़े धारण करें
- पूजा स्थान की साफ सफाई करें
- भगवान शिव और माता पार्वती की तस्वीर या मूर्ति को गंगाजल से साफ करें
- जल रखने वाले पात्र में गंगा जल भर लें
- फिर जल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें
- भगवान भोलेनाथ को फूल, अक्षत, भांग, धतूरा, गाय का दूध, धूप, पंचामृत, सुपारी, बेलपत्र चढ़ाएं
- फिर ओम नम: शिवाय मंत्र का पाठ करते हुए भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाएं
- यह सब करने के बाद भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती