रायपुर:मार्गशीर्ष मास की चतुर्थी तिथि संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi )या अंगारक चतुर्थी कहलाती है. इस दिन आद्रा नक्षत्र साध्य योग बालव करण के सुंदर सुयोग में मनाया जाएगा. इस दिन चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान रहेंगे. अनुराधा नक्षत्र में अर्थात वृश्चिक में बुध का प्रभाव रहेगा. इस शुभ दिन यम योग भी बना है. श्री संकष्टी चतुर्थी में भगवान श्री गणेश (Shri Ganesh) अर्थात लंबोदर(Lambodar) की पूजा (worship) उपासना और व्रत किया जाता है. संकष्टी चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi fasting) पालन करने पर अनेक तरह की समस्याओं से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है.
इस बेला में है शुभ संयोग
ईटीवी से खास बातचीत के दौरान पंडित विनीत शर्मा (Pandit Vineet Sharma) ने बताया कि यह पर्व उमंग और उत्साह के साथ व्रती मनाते हैं. प्रातः काल की शुभ बेला में स्नान ध्यान और योग से निवृत्त होकर भगवान श्री गणेश की पूजन के साथ उन्हें आह्वान किया जाता है. गौरी गणपति की स्थापना कर इस पूजन को प्रारंभ किया जाता है. भगवान श्री गणेश महाराज को केला, ऋतु फल, परिमल ,अबीर-गुलाल, मल्ल्याचल का चंदन, बंधन, सिंदूर-तिलक आदि लगाकर श्री गणेश जी के अभिषेक किया जाता है. दुर्वा, पुष्प, कुसुम, दूध, दही, पंचामृत द्रव्य दक्षिणा हरे पत्ते और दूर्वा की माला से भगवान गणेश जी को प्रसन्न किया जाता है. इस दिन तोरण लगाने से शुभ फल प्राप्त होते हैं.