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विश्व टेलीविजन दिवस 2022 : लोगों के जीवन का हिस्सा बना टेलीविजन, हर वर्ग में इसका दखल

World television day टेलीविजन लोगों के जीवन में कितना महत्वपूर्ण है. यह आज भली भांति समझा जा सकता है. कोई भी शख्स बिना टीवी देखे नहीं रह सकता. एक समय जब टेलीविजन का आविष्कार हुआ था. तब चंद मिनट में ही इसका प्रसारण होता था. लोग उसका बेसब्री से इंतजार करते थे. journey and developement of television. अब टेलीविजन में 24 घंटे का प्रसारण हो चुका है.

World television day 2022
विश्व टेलीविजन दिवस

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Published : Nov 20, 2022, 6:27 PM IST

रायपुर: World television day विश्व टेलीविजन दिवस (21 नवंबर) के अवसर पर हम आपको बताने जा रहे हैं कि टेलीविजन लोगों के जीवन में कितना महत्वपूर्ण है. एक समय जब टेलीविजन का आविष्कार हुआ था. तब चंद मिनट ही इसका प्रसारण होता था. लोग उसका बेसब्री से इंतजार करते थे. लेकिन धीरे धीरे समय बदला और इसके प्रसारण के समय में भी बढ़ोतरी हुई. इतना ही नहीं चंद चैनल से आज सैकड़ों चैनल हो गए हैं. journey and developement of television

जीवन में बढ़ रहा टेलीविजन का हस्तक्षेप: आज आलम यह है कि 24 घंटे 365 दिन टेलीविजन पर विभिन्न चैनलों के माध्यम से देश-विदेश सहित अन्य कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. आज लोग बिना टेलीविजन के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. क्योंकि लोगों के मनोरंजन के साथ साथ सूचना का महत्वपूर्ण साधन भी टेलीविजन है. बच्चे बूढ़े जवान महिला पुरुष सभी टेलीविजन के सामने थोड़ा बहुत समय जरूर बिताते हैं.

बिना टेलीविजन दिन गुजारना है मुश्किल:टेलीविजन ही है जो चंद सेकेंड में ही देश दुनिया की जानकारी लोगों तक पहुंचा देती है. इतना ही नहीं इस पर प्रसारित होने वाले सांस्कृतिक धार्मिक कार्यक्रम भी लोग पसंद करते हैं. इसके अलावा फिल्म धारावाहिक सहित अन्य कार्यक्रम लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बच्चों के जीवन में भी टेलीविजन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. जहां एक ओर जानकारी के माध्यम से बच्चों का मानसिक विकास कर रहा है. वहीं कार्टून सहित अन्य कार्यक्रम बच्चों का मनोरंजन भी कर रहे है. इतना ही नहीं टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले समाचार भी लोगों को देश दुनिया की जानकारी से घर बैठे अवगत कराते हैं. यही वजह है कि अब लोग बिना टेलीविजन के जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते.

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लोगों के लिए जरूरी है टेलीविजन: हालांकि इस बीच कई ऐसे साधन संसाधन आए जो लोग पसंद कर रहे हैं. इसमें मोबाइल कंप्यूटर सहित अन्य साधन शामिल है. इसके लिए कहीं न कहीं इंटरनेट की आवश्यकता होती है. ऐसे में जिन जगहों पर इंटरनेट नहीं होता वहां लोग इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पाते. लेकिन टेलीविजन ऐसा है जो हर जगह काम करता है. चाहे फिर इंटरनेट हो या ना हो. यही वजह है कि आज भी टेलीविजन लोगों को मनोरंजन के साथ साथ सूचना का महत्वपूर्ण साधन बना हुआ है.



अविभाजित मध्यप्रदेश में रायपुर में लगा था पहला टीवी टावर: यदि छत्तीसगढ़ में टेलीविजन की बात की जाए तो यहां अविभाजित मध्यप्रदेश के रायपुर में सबसे पहले टीवी टावर लगा था. दूरदर्शन से रिटायर्ड अधिकारी अजीत कादिर बताते है की "अविभाजित मध्यप्रदेश में सबसे पहले टीवी टावर रायपुर में लगा था, जो कि मौजूदा समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी है. यह टीवी टावर 1977 में लगाया गया था. उस समय 6 टीवी टावर लगाए जा रहे थे. उसमें से रायपुर का भी एक टीवी टावर शामिल था." अजीत कादिर बताते हैं की उस समय विद्याचरण शुक्ल केंद्रीय मंत्री थे. उनके रहते टीवी टावर लगा.



टेलीविजन की दुनिया में देखने को मिला बड़ा बदलाव:अजीत कादिर बताते है की "पहले और अब में टेलीविजन की दुनिया में काफी अंतर आ गया है. उस दौरान टेलीविजन में काम करना काफी कठिन होता था. कई चुनौतियां होती थी. खासकर प्रसारण के पहले किसी कार्यक्रम को बनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होता था. कैमरे उस समय भरी भरकम और अलग तरीके के होते थे. लेकिन समय के साथ साथ काफी बदलाव हुआ है. भारी भरकम कैमरे की जगह छोटे कैमरो ने ले ली है. बड़ी-बड़ी फिल्म, रील कैसेट की जगह अब छोटी चिप हो गई है. इस तरह समय के साथ साथ टेलीविजन के क्षेत्र में काफी बदलाव देखने को मिला है."



लाइव के लिए नहीं लगता भारी-भरकम कैमरा और स्टाफ: अजीत कादिर बताते है की "जब पहले टेलीविजन पर कोई लाइव करना होता था. तो एक बहुत बड़ी यूनिट होती थी. ओबी वैन लगानी पड़ती थी. 20 से 25 लोग उसके लिए काम करते थे. लाइव के 1 हफ्ते पहले से उस जगह पर कार्यक्रम की तैयारी की जाती थी. लेकिन अब चंद मिनटों में ही कहीं से भी लाइव किया जा सकता है. उसके लिए ना तो भारी भरकम कैमरे की जरूरत होती है, ना ही ओवी वैन की जरूरत होती है और ना ही 20 से 25 लोग लगते हैं. यह काफी बड़ा बदलाव देखने को मिला है.



टेलीविजन के स्वरूप में भी आया बड़ा बदलाव: अजीत कादिर बताते है की "टेलीविजन की बात की जाए तो पहले ब्लैक एंड व्हाइट टीवी आई. स्क्रीन तो छोटी होती थी. लेकिन इसके पीछे लगा पिक्चर ट्यूब और अन्य टीवी उपकरण काफी ज्यादा होते थे. इसलिए स्क्रीन के पीछे यह टीवी ज्यादा जगह घेरती थी. इसके बाद धीरे धीरे टीवी का आकार बदला. बाद में कलर टीवी आई और आज बड़ी से बड़ी साइज की टीवी मौजूद है. जबकि इसकी चौड़ाई सिमट कर कुछ इंच और सेंटीमीर में हो गई है."

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