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World Sparrow day 2023 : जानिए क्यों है खतरे में गौरेया का जीवन - विश्व गौरेया दिवस की थीम

गौरैया उन पहले पक्षियों में से एक है जिन्हें हम अधिकांश अपने बचपन के दिनों में घर के आसपास मंडराते देखा करते है. गौरेया काफी छोटी भूरे रंग की चिड़िया है जो रिहायशी इलाकों में पाई जाती है. लेकिन जैसे जैसे मानव जाति विकसित हो रही है वैसे वैसे गौरेया हमारी धरती से खत्म हो रही है. जो चिंता का विषय है. पूरे भारत समेत विश्व में गौरेया की घटती संख्या को नियंत्रित करने के लिए वर्ल्ड स्पैरो डे मनाने का फैसला लिया गया.World Sparrow day

World Sparrow day 2023
जानिए क्यों है खतरे में गौरेया का जीवन

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Published : Mar 14, 2023, 6:45 AM IST

रायपुर : घरेलू गौरैया के प्रति लोगों को जागरूक करने और उनकी रक्षा करने के लिए हर साल 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जाता है. पहली बार विश्व गौरैया दिवस का आयोजन साल 2010 में 20 मार्च के दिन आयोजित किया गया था. द नेचर फॉरएवर सोसाइटी ऑफ इंडिया और फ्रांस के इको-एसआईएस एक्शन फाउंडेशन ने विश्व गौरैया दिवस के लिए विचार किया. इनके संरक्षण के बारे में लोगों तक संदेश पहुंचाने के लिए गौरैया के लिए एक दिन समर्पित किया गया.

गौरेया को बचाने के लिए बनीं है वेबसाइट : द नेचर फॉरएवर सोसाइटी ने विश्व गौरैया दिवस के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक समर्पित वेबसाइट भी बनाई है. इस वेबसाइट में दुनिया भर से गौरैयों की प्रजातियों के बारे में छवियों और सूचनाओं की एक बड़ी जानकारी है.

क्या है विश्व गौरेया दिवस की थीम :विश्व गौरैया दिवस की थीम "आई लव स्पैरो" है. यह इस उम्मीद से प्रेरित है कि अधिक से अधिक लोग मानव-गौरैया के बीच के संबंध को पहचानेंगे. थीम का प्रमुख लक्ष्य गौरैया के लिए लोगों के जुनून और पक्षियों के जीवन में एक बड़ा अंतर लाने के लिए उनके द्वारा की जाने वाली छोटी-छोटी चीजों पर जोर देना है.

ये भी पढ़ें-विश्व गौरेया दिवस का इतिहास और कारण

विश्व गौरेया दिवस का महत्व : यह दिन गौरैया की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है, जो विलुप्ती के कगार पर है. विश्व गौरैया दिवस का उद्देश्य उन व्यक्तियों को एक साथ लाना है जो गौरैया के लिए जुनून रखते हैं.उनकी सुंदरता की सराहना करते हैं. घरेलू गौरैया हमारे घरों में एक आम चिड़िया हुआ करती थी उन्हें देखना आसान था. लेकिन इन दिनों में आप गौरेया को संकट में पाएंगे.क्योंकि जिन घरों के मुंडेर में ये पक्षी देखने को मिलती थी. अब वो सूने हो चुके हैं.हालात ये हैं कि शहरीकरण ने इन चिड़ियों का जीवन संकट में डाल रखा है.

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