रायपुर: विश्वभर में आज संस्कृत दिवस (World Sanskrit Day 2021) मनाया जा रहा है. इसे संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने और इसको संरक्षित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. इस दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देशवासियों को बधाई दी हैं.
संस्कृत को देवों की भाषा माना गया है. संस्कृत भाषाओं में हमें वेदों और पुराणों की जानकारियां मिलती हैं. भारत में संस्कृत को विशेष महत्व दिया गया है. हालांकि यह देश के किसी भी राज्य की राजभाषा नहीं है, लेकिन जनवरी 2010 में उत्तराखंड राज्य ने संस्कृत को राज्य की द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया था.
संपूर्ण भारतवर्ष समेत छत्तीसगढ़ में भी संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए कई महाविद्यालय खोले गए हैं. आजादी के बाद रायपुर में शासकीय दूधाधारी श्री वैष्णव संस्कृत महाविद्यालय खोला गया था. 2 अक्टूबर 1955 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस संस्कृत महाविद्यालय का शिलान्यास किया था. पिछले 65 साल से संचालित इस संस्कृत महाविद्यालय से हजारों छात्रों ने पढ़ाई की है और कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारियां निभाई है. इसके साथ ही लगातार यहां पर अब संस्कृत सीखने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है.
लाइब्रेरी में दुर्लभ पांडुलिपि
रायपुर के संस्कृत विद्यालय की लाइब्रेरी में दुर्लभ पांडुलिपि और हस्तलिखित किताबें भी मौजूद हैं. उसके अलावा यहां किताबों का बहुत बड़ा संग्रह मौजदू है. वर्तमान में लाइब्रेरी में 32 हजार से ज्यादा किताबें हैं. यहां मौजूद दुर्लभ पांडुलिपि में 8 पांडुलिपि ताड़ पत्र पर और 1039 दुर्लभ पांडुलिपियां पेपर पर मौजूद हैं.
ये कोर्स होते है संचालित
संस्कृत महाविद्यालय में कई कोर्स संचालित किए जाते हैं. यहां बीए, एमए, एमए सामान्य संस्कृत, पीजीडीसीए, डिप्लोमा इन योगा दर्शन पढ़ाया जाता है. इस महाविद्यालय में बीए क्लासिक स्नातक के लिए 4 कैटेगरी से 1-1 विषय का चयन करना होता है. जिनमें आधार पाठ्यक्रम, अनिवार्य विषय, वैकल्पिक विषय और वैकल्पिक आधुनिक विषय से विषय का चयन करना होता है.