सवाल: आपने कविता लिखने की शुरुआत कब से की?
जवाब: मेरा विद्यार्थी जीवन काफी विसंगतियों से भरा रहा. ग्रामीण परिवेश में मैंने पढ़ाई की. कक्षा 9वीं की पढ़ाई के लिए गांव से हम राजिम आए. उस दौरान राजिम कस्बा हुआ करता था. स्कूल में हर शनिवार गतिविधियां हुआ करती थी. स्कूल में हर शनिवार रामायण पाठ भी हुआ करता था. सभी स्टूडेंट इसमें भाग लेते थे. गाने का अंदाज स्कूली जीवन में मुझे मिल गया था. 1971 में राजिम में किराए के मकान में रहा करते थे. मकान के बगल में संत पवन दीवान का आश्रम था.
स्कूल में जब स्वतंत्रा दिवस, गणतंत्र दिवस शिक्षक दिवस के मौके पर हम पवन दीवान जी से कविता लिया करते और उनकी लिखी कविताओं की प्रस्तुति करते थे. उस दौरान पवन दीवान की बहन रत्ना हमारी सहपाठी थी. एक बार संत पवन दीवान से हमने कविता मांगी तो वे खिसिया गए. उन्होंने कहा कि तुम 11 वीं कक्षा में पढ़ते हो और खुद नहीं लिख सकते. कल 4 लाइन लिखकर आना. उसके बाद हम लोगों ने प्रयास किया. 1971 से कलम चल रही है. यह सफर आज भी जारी है.
सवाल: आपका नया गाना आया है, जिसे बेहद पसंद किया जा रहा है?
जवाब:जिस गीत को मैंने बनाया है, उसमें खेल को भी दर्शाया गया है. स्पोर्ट्स बैकग्राउंड से रहा हूं. स्कूली जीवन में एनसीसी और स्काउट गाइड में भी भाग लेता था. हम नेशनल कंपटीशन में भी दूसरे राज्य जाया करते थे. कैंप में अन्य राज्य से भी खिलाड़ी आते थे. वे अपनी भाषाओं में अपने गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करते थे. वहीं से एक भावना थी, कि छत्तीसगढ़ के विलुप्त होते खेलों को भी रचना के माध्यम से सामने लाया जाए. कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़िया ओलंपिक संपन्न हुआ. इससे पहले मैंने यह गीत लिखा था. नए दौर में रैपर के साथ में तालमेल बैठाना थोड़ा मुश्किल था. वर्तमान दौर को ध्यान में रखते हुए नया गीत बनाया गया है. यह युवाओं को बहुत पसंद आ रहा है.
सवाल: आपने नए गीत में खुडू डू डू शब्द का इस्तेमाल किया है, इसका क्या अर्थ है?
जवाब: कबड्डी खेलते समय खिलाड़ी कबड्डी कबड्डी कहते हैं. लेकिन गांव में पुराने लोग कबड्डी खेलते समय कबड्डी कबड्डी नहीं बोलकर खुडू डू डू डू बोलकर रफ्तार से दौड़ते थे. जब मैंने इस बात को चिंतन में लाया तो वाकई में यह नया शब्द था. गांव के खेलकूद को दर्शाते हुए यह गीत बनाया गया है.
सवाल: आपने अपने नए गाने में खेल को ही क्यों केंद्रित किया?
जवाब: कविता के माध्यम से हम समाज को संदेश देना चाहते हैं, मैं सभी से कहना चाहता हूं कि अगर आप खाली समय बैठे हैं तो किसी रचनात्मक काम में लग जाएं. छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेल के माध्यम से मैं अपनी कविताओं को जनता के बीच में लेकर गया हूं. आज के समय में बहुत सारे खेल विलुप्त हो रहे हैं. मैं अपनी कविताओं में उन खेलों को लेकर आया. आज के समय में युवा घर से बाहर नहीं निकलना चाहते. वे अपना ज्यादा समय इंटरनेट में बिताते हैं. हम चाहते हैं कि इस गीत के माध्यम से युवा प्रेरित हों. घर से बाहर निकल कर आगे आएं और खेल भी खेलें.
सवाल: वर्तमान दौर में कवियों और रचनाकारों की आलोचना को सरकारें बर्दाश्त नहीं कर रही हैं, इसे किस तरह से देखते हैं?
जवाब: पूरे विश्व में वैचारिक भिन्नता के कारण ऐसी चीजें सामने आ रही है. लेकिन जब नेता एक साथ बैठते हैं, तब उन्हें वैचारिक एकता नजर आती है. उस समय उनकी भिन्नता नहीं दिखती. यह जो हो रहा है, वह बेहद गलत हो रहा है. जब चुनाव आते हैं, तब नेताओं का व्यवहार बदल जाता है. सत्ता के लालच के कारण भावनाएं सही ढंग से नहीं पहुंचा पा रहे हैं. मैं चाहता हूं कि देश का नेता ऐसा हो, जिस पर उंगली ना उठे. भ्रष्टाचार आज के समय में शिष्टाचार हो गया है. इससे हमें मुक्त होना है. इसके लिए आम जनता को आगे आना पड़ेगा.