रायपुर/ हैदराबाद : ऐसे बच्चे जिन्होंने युद्ध में अपने मां बाप को खोया हो, उनके लिए इस दिन की परिकल्पना की गई. इस दिवस का उद्देश्य जागरूकता फैलाना और युद्ध के अनाथ या संघर्ष में बच्चों द्वारा सामना किए गए संकटों को दूर करना है. अक्सर देखा गया है कि अनाथालयों में बड़े होने वाले बच्चे अक्सर भावनात्मक और सामाजिक भेदभाव का सामना करते हैं. यह दुनिया भर में मानवीय और सामाजिक संकट बन गया है. जो दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. यह दिन कई बच्चों के जीवन पर प्रकाश डालता है, जो युद्ध के परिणामों से प्रभावित हुए हैं और परिवारों के बिना रह रहे World yudh anath divas हैं.
वर्ल्ड ऑर्फन डे का इतिहास : यूनिसेफ (unicef) के अनुसार, एक अनाथ वो है जो “18 वर्ष से कम उम्र का बच्चा है जिसने अपने माता-पिता को खो दिया है” एक रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध संगठन के लिए विश्व युद्ध अनाथ दिवस की शुरुआत फ्रांसीसी संगठन, एसओएस एनफैंट्स एन डिट्रेस द्वारा की गई थी. कई देश जो युद्ध क्षेत्र बन गए हैं, वहां के नागरिकों बिना किसी विकल्प के युद्ध के कष्टों का सामना करना पड़ता हैं. जिन उपेक्षित बच्चों को बिना परिवारों के छोड़ दिया जाता है, वे युद्ध पीड़ितों में से एक होते हैं जो सबसे अधिक कठिनाइयों का सामना करते हैं क्योंकि उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता हैं.अधिकांश अनाथ आमतौर पर एक जीवित रिश्तेदार के साथ रहते हैं, अक्सर उनके दादा दादी. हालांकि, कई ऐसे भी हैं जिनकी देखभाल करने वाला कोई रिश्तेदार नहीं है. ऐसे मामलों में, बच्चे के उपेक्षित होने की संभावना अधिक होती World Day Of War Orphans है.