रायपुर: किसी भी वस्तु का उपभोग करने वाला व्यक्ति उपभोक्ता कहलाता है. हर साल 15 मार्च को 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' मनाया जाता है. वहीं भारत में 24 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस’ मनाया जाता है. उपभोक्ता दिवस मनाने का उद्देश्य उपभोक्ताओं या ग्राहकों को उनके हक, अधिकारों और हितों से अवगत कराना है. इसके साथ ही उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और उसके अंतर्गत आने वाले कानूनों की जानकारी देना अहम है.
बाजार में होने वाली कालाबाजारी, मिलावटी सामानों का वितरण, ज्यादा पैसे वसूलना, बिना मानक वस्तुओं की बिक्री, ठगी, नाप-तौल में अनियमितता, गारंटी के बाद भी सर्विस नहीं देना, इसके साथ ही ग्राहकों के साथ होने वाले कई अपराधों को देखते हुए इस दिन जागरूकता अभियान चलाया जाता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने दिया था अनुमोदन
दरअसल 15 मार्च 1962 को अमेरिका कांग्रेस में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने उपभोक्ता संरक्षण पर पेश किए गए विधेयक पर अनुमोदन दिया. इस विधेयक में चार विशेष प्रावधान थे. जिसमें उपभोक्ता सुरक्षा के अधिकार, सूचना प्राप्त करने का अधिकार, उपभोक्ता को चुनाव करने का अधिकार और सुनवाई का अधिकार शामिल था. बाद में इसमें 4 और अधिकारों को जोड़ा गया.
उपभोक्ता के अधिकार
सुरक्षा का अधिकार- इस अधिकार का कार्य वस्तुओं और सेवाओं के विपणन के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करना है. इसके लिए ISI और एग मार्क जैसे गुणवत्ता चिन्ह निर्धारित किए गए हैं. ये चिन्ह किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता की गारंटी देते हैं.
सूचना पाने का अधिकार
इसका मतलब है कि उपभोक्ता को किसी भी वस्तु की मात्रा, गुणवत्ता, शक्ति, शुद्धता, स्तर और मूल्य के बारे में जानकारी पाने का पूरा अधिकार है. विक्रेता या दुकानदार इससे इंकार नहीं कर सकता है.
चुनने का अधिकार
उपभोक्ता को पूरा अधिकार है कि वो किसी भी सामान को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हो और उसके बाद अपने विवेक से उसे चुन सके. यानी उपभोक्ता को पूरी छूट है कि वो वही खरीदे जो वो खरीदना चाहता है.
सुनवाई का अधिकार