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world braille day 2023 : विश्व ब्रेल दिवस और इतिहास

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक विश्व भर में करीब 39 मिलियन लोग देख नहीं सकते जबकि 253 मिलियन लोगों में कोई न कोई दृष्टि विकार है. विश्व ब्रेल दिवस का मुख्य उद्देश्य दृष्टि-बाधित लोगों के अधिकार उन्हें प्रदान करना और ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है. ब्रेल नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए पढ़ने और लिखने की एक स्पर्श प्रणाली है. ब्रेल लिपि से दृष्टि बाधित लोगों को आत्मनिर्भर बनने में बहुत सहायता History of World Braille Day मिली. आइये जानते हैं ब्रेल लिपि क्या होती है और world braille day कब और क्यों मनाया जाता है.

world braille day 2023
विश्व ब्रेल दिवस और इतिहास

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Published : Jan 2, 2023, 6:31 PM IST

रायपुर/हैदराबाद :ब्रेल प्रणाली नेत्रहीन लोगों के लिए एक लिपि World Braille Day 2023 है. ब्रेल छह बिंदुओं का उपयोग करके वर्णमाला और संख्यात्मक प्रतीकों का एक स्पर्शपूर्ण प्रतिनिधित्व है. इस प्रणाली से न केवल अक्षर और संख्या, बल्कि संगीत, गणितीय और वैज्ञानिक प्रतीकों को भी स्पर्श से समझा जाता है. ब्रेल के उपयोग से नेत्रहीन और आंशिक रूप से देखने वाले व्यक्ति विज़ुअल फॉण्ट में छपी पुस्तकों और पत्रिकाओं को पढ़ सकते हैं.

कब मनाया जाता है विश्व ब्रेल दिवस : World Braille Dayप्रत्येक वर्ष 04 जनवरी को मनाया जाने वाला एक अंतराष्ट्रीय दिवस है. यह तारीख नवंबर 2018 में सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा एक उद्घोषणा के माध्यम से चुनी गई थी. यह तारीख 19वीं शताब्दी में ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुइस ब्रेल की जन्म तिथि है. इन्हीं के नाम पर ब्रेल लिपि जानी जाती है. पहला विश्व ब्रेल दिवस 04 जनवरी 2019 को मनाया गया. यह दिन नेत्रहीन और दृष्टिबाधित लोगों के लिए मानवाधिकारों की पूर्ण प्राप्ति में संचार के साधन के रूप में ब्रेल के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाता है.

कौन थे लुईस ब्रेल :Lewis Braille का जन्म फ्रांस में 04 जनवरी 1809 को हुआ था. उन्होनें तीन साल की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी खो दी थी. जब उन्होंने अपने पिता के एक औजार से अपनी आंख में गलती से मार दिया था. कोई भी उपचार उनकी आंख को ठीक नहीं कर सकी.उनकी इस आंख का संक्रमण दूसरी आँख तक फैल गया. पांच वर्ष तक आयु तक लुइस का संक्रमण तो ठीक हो गया पर उनकी दोनों आंखों की रोशनी पूरी तरह से चली who was louis braille गई.

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लुईस ब्रेल ने दिया लाखों नेत्रहीनों को प्रकाश :लुइस की बुद्धिमता और परिश्रम के कारण दस साल की उम्र में उन्हें ब्लाइंड स्कूल में जाने की अनुमति मिली. स्कूल में वे फ्रेंच आर्मी में कार्यरत Charles Barbier से मिले जिन्होंने नेत्रहीन लोगों के लिए नाईट राइटिंग का आविष्कार किया था. नाइट राइटिंग प्रणाली में बारह बिंदुओं से और उनके सयोंजन के स्पर्श के माध्यम से सभी अक्षर समझे जाते थे. इस प्रणाली की समस्या यह थी कि मानव उंगलियां एक स्पर्श से सभी बारह बिंदुओं को महसूस नहीं कर सकते थे.इसके बाद लुइस ब्रेल को ग्यारह वर्ष की आयु में ही नाईट राइटिंग को सुधारने की प्रेरणा मिली और उन्होंने नाईट राइटिंग के बारह बिंदुओं के सेल को छह बिंदुओं में बदला. हर सेल अलग-अलग कॉम्बिनेशन के साथ 63 अलग अक्षर, शब्द, संख्या, साउंड या साइन दर्शाता है. लुइस ब्रेल की इस विरासत ने नेत्रहीन लाखों लोगों के जीवन को प्रकाशित किया है.

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