रायपुर / हैदराबाद :बापू का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.उनके पिता करमचंद गांधी था. पोरबंदर में कठियावाड़ रियासत के दीवान थे और मां पुतलीबाई को घरेलू महिला थीं. महात्मा गांधी ने अपनी पढ़ाई की शुरूआत स्थानीय स्कूलों से की. वे पोरबंदर के प्राइमरी स्कूल और राजकोट के अल्बर्ट हाई स्कूल में पढ़े.1883 में 13 वर्ष की उम्र में गांधी जी की शादी कस्तूरबा बाई से कर दी गई. इसी साल शादी के बाद वह वकालत की पढ़ाई करने के लिए ब्रिटेन चले गए. पढ़ाई खत्म करके वे 1891 में भारत लौटे और दो साल बाद 1893 में शेख अब्दुल्ला नाम के एक गुजराती व्यापारी के वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका गए. वे लियो टॉलस्टाय और रस्किन बॉण्ड की शिक्षा से बेहद प्रभावित थे. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ही टॉलस्टाय फर्म की स्थापना की. इसके बाद बापू ने लंदन में हिंदू, इस्लाम और ईसाई धर्मों का अध्ययन किया.
साबरमति के संत का कमाल :1915 में दक्षिण अफ्रीका से महात्मा गांधी भारत लौटे.इस दौरान मुंबई के कई तत्कालीन बड़े कांग्रेस नेताओं ने उनका भव्य स्वागत किया. इन कांग्रेस नेताओं में बापू के गुरू गोपाल कृष्ण गोखले भी मौजूद थे. बापू की भारत वापसी में उनका अहम योगदान था.साल 1915 में ही महात्मा गांधी ने गुजरात के अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की नींव रखी.इसके बाद बापू ने देश की आजादी के लिए नमक, असहयोग, अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन चलाया. उनकी दांडी यात्रा तो आज भी मिसाल की तरह पेश की जाती है. अपने सभी आंदोलनों में महात्मा गांधी ने अहिंसा का परिचय दिया.उनके विचारों में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं था और वे हमेशा हिंसा के खिलाफ थे. उनके विचारों और आंदोलनों के जरिए किए गए प्रयासों के कारण ही 15 अगस्त 1947 को भारत के बाशिंदों ने आजाद हवा में सांस लेनी शुरु की.