रायपुर :छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) ने प्रदेश के नगरीय निकायों में पचास फीसदी आरक्षण (fifty percent reservation) महिलाओं के लिए लागू करने का फैसला कर लिया है. कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब नगरीय प्रशासन विभाग इस संबंध में केन्द्र सरकार (central government) को प्रस्ताव भेजेगा. भूपेश बघेल सरकार (Bhupesh Baghel Govt.) के इस फैसले से महिलाओं को राजनीतिक रूप से और ज्यादा ताकत मिलेगी. लोकतंत्र में उनकी सहभागिता और ज्यादा बढ़ेगी. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में फिलहाल 33 फीसद आरक्षण लागू है.
कितनी बढ़ेगी महिला पार्षदों की तादाद
नगरीय निकायों में 50 % महिला आरक्षण को मंजूरी, पहले सूबे में थीं 1076 अब 1630 महिला पार्षद की होगी भागीदारी - रायपुर की खबरें
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के नगरीय निकायों में पचास फीसदी आरक्षण महिलाओं के लिए लागू करने का फैसला कर लिया है. प्रदेश के 14 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 112 नगर पंचायत को मिलाकर महिला पार्षदों की संख्या 1076 है. 50 फीसदी आरक्षण लागू हो जाने के बाद 554 महिला पार्षदों की संख्या और बढ़ जाएगी. मतलब महिला पार्षदों की संख्या 1630 हो जाएगी.
प्रदेश के 14 नगर निगम, 43 नगर पालिका और 112 नगर पंचायत को मिलाकर महिला पार्षदों की संख्या 1076 है. 50 फीसदी आरक्षण लागू होने पर 554 महिला पार्षदों की संख्या और बढ़ जाएगी, यानि महिला पार्षदों की संख्या 1630 हो जाएगी. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़े शहरों से लेकर कस्बों तक महिलाओं की चुनावों में भागीदारी बढ़ेगी. हालांकि प्रदेश में 13 नगरीय निकायों में होने वाले चुनावों में ये व्यवस्था शायद लागू न हो सके. उम्मीद है कि 2024 का नगरीय निकाय चुनाव इसी व्यवस्था के तहत हो. गौरतलब है कि कोरोना के चलते टले 13 नगरीय निकायों में 3 नगर निगम, 4 नगर पालिका, 6 नगर पंचायत शामिल हैं. यहां चुनाव को लेकर तैयारी चल रही है.
पंचायतों में लागू है 50 फीसदी आरक्षण
साल 2009 में भारत सरकार ने ग्राम स्तर पर महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में कदम उठाते हुए पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण को मंजूरी दे दी थी. इस फैसले से देशभर में महिलाओं की राजनीतिक भूमिका बढ़ी है. आज बड़ी तादाद में महिलाएं पंचायती राज में चुने जाने के बाद राजनीति में अपना स्थान बना रही हैं.
आज देशभर में 14 लाख से ज्यादा महिलाएं जनप्रतिनिधि के तौर पर चुनी जा रही हैं. पंचायती राज व्यवस्था से ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार आया है. उम्मीद है कि शहरी क्षेत्र में भी महिलाओं को ये अधिकार मिलने से समाज में बड़ा बदलाव आएगा.