रायपुर:आज के मॉडर्न और टेक्निकल युग में हर इंसान अपने सभी कामों के लिए स्मार्टफोन पर ही निर्भर होता जा रहा है. स्मार्टफोन हर किसी की जीवनशैली का एक अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन ये जितना उपयोगी है, उतना ही हानिकारक भी.
संचार, मनोरंजन, परिवहन, पेमेंट एप्स सहित और कई तकनीकों से संबंधित कामों के लिए स्मार्टफोन की जरूरत आज काफी बढ़ गई है. यही वजह है कि मोबाइल की बैटरी डाउन होते ही लोगों में बेचैनी बढ़ जाती है.
मोबाइल की बैटरी जब कम होने लगती है और आदमी के पास चार्जर और पावर बैंक नहीं होता, तो लोगों के बर्ताव और बेहवियर में भी चेंज आने लगता है. वह अपने आपको तनाव में महसूस करने लगता है और उनकी खुद की एनर्जी भी डाउन होने लगती है और वह सोचने लगते हैं कि जल्दी से जल्दी किसी ऐसी जगह पहुंचे जहां वह अपना मोबाइल चार्ज कर सके.
साइकोलॉजिस्ट से ETV भारत की खास बातचीत
इसी सिलसिले में ETV भारत ने राजधानी रायपुर के मशहूर साइकोलॉजिस्ट जेसी अजवानी से बात की और इसके हानिकारक पहलुओं के बारे में बताया.
- उन्होंने कहा कि, 'मोबाइल का लगातार इस्तेमाल ऐसी आदत को जन्म देती है, जो लोगों के लिए काफी खतरनाक है. लगातार मोबाइल का इस्तमाल करने से जीवन में तनाव बढ़ जाता है और परिवार में भी दूरियां बढ़ने लगती है.'
- उन्होंने कहा कि, 'लोग एक दूसरे से बात करने के दौरान काफी कुछ एक दूसरे से शेयर करते हैं, जो फोन कट हो जाने के बाद भी उनके दिमाग में चलता रहता है और कई बार यही उनके जीवन में तनाव बढ़ाने लगता है.'
- साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि, 'मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से हमारी सोच और काम करने और जीवन जीने के तरीके में काफी बदलाव आता है. पहले हम दूरी और समय के बारे में किलोमीटर वह घंटे के हिसाब से सोचा करते थे पर अब सोचते हैं कि हमारे मोबाइल में कितनी बैटरी है जो हमारे पहुंचने वाली जगह तक चल सकती है या नहीं.'
ETV भारत ने की युवाओं से बात
- जब ETV भारत ने इस बारे में युवाओं से बात की, तो उन्होंने सबसे पहले ये बताया कि वो रोज सुबह उठकर सबसे पहले अपने मोबाइल को देखते हैं और तमाम सोशल मीडिया एप्लीकेशन खोलकर स्क्रोल करते हैं और देखते हैं कहीं कोई मैसेज आया है या नहीं.
- जब उनसे पूछा गया कि उनको सुबह-सुबह मोबाइल देखने की आदत कैसे पड़ी, तो बताया कि रात में मोबाइल का इस्तेमाल कर सोने से एक इच्छा जागती है कि कहीं सुबह कोई मैसेज का रिप्लाई आया होगा या सोशल मीडिया पर कोई नई फोटो या वीडियो अपलोड हुई है या नहीं, यही ललक उन्हें रोज सुबह मोबाइल देखने पर मजबूर करती है.
- युवाओं ने बताया की मोबाइल की बैटरी कम हो जाने पर उनके बिहेवियर में काफी चेंज आते हैं और वह अपने आप को तनाव में महसूस करते हैं और सोचने लगते हैं कब जल्द से जल्द हम मोबाइल को फुल चार्ज कर पाएंगे.
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कितना हानिकारक है स्मार्टफोन
स्मार्टफोन अपने में ही एंटरटेनमेंट का एक भरपूर साधन है, जिसके इस्तेमाल से आप अपना टाइम पास कर सकते हैं. साथ ही दूसरों से चैटिंग करना, टीवी देखना, बातें करना, पेमेंट करना इस तरह के किसी भी काम को आसानी से आपका स्मार्टफोन कर सकता है.
- यही कारण है कि आज का युवा ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट फोन की तरफ चले जा रहे हैं और छोटी उम्र में ही बच्चे स्मार्टफोन इस्तेमाल करने लग जाते हैं, जिससे सिर्फ उनकी आंखों को नहीं बल्कि उनके शरीर पर भी काफी प्रभाव पड़ता है.
- मोबाइल इस्तेमाल के समय जो रेडियो फ्रीक्वेंसी मोबाइल से निकलती है उससे बच्चों के शरीर पर काफी हानिकारक असर पड़ता है, जिससे जल्दी बीमार होने का खतरा बना रहता है.
- ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने से और मोबाइल देखते रहने से बच्चों के दिमाग और आंखों पर भी असर पड़ता है और उनका दिमाग स्लो हो जाता है और आंखें कमजोर हो जाती है.