रायपुर:आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करते हैं. आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के आशीर्वाद से धन-संपत्ति, सुख-शांति और वैभव का वरदान पाया जा सकता है. इस साल गुरु पूर्णिमा का पर्व 13 जुलाई को मनाया जाएगा. इस दिन रुचक, भद्र, हंस और शश नाम के चार विशेष योग इस बार गुरु पूर्णिमा को खास बना रहे हैं.
गुरु पूर्णिमा का महत्व: हिंदू धर्म की मान्यताएं के अनुसार, आषाढ़ माह की पूर्णिमा पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. इस दिन से ऋतु परिवर्तन भी होता है. इस दिन शिष्य अपने गुरु की विशेष पूजा करते हैं. लोग अपने गुरु को यथाशक्ति दक्षिणा, पुष्प, वस्त्र आदि भेंट करते हैं. इस दिन शिष्य अपने सारे अवगुणों का त्याग भी करते हैं.
महर्षि वेदव्यास को समर्पित है ये दिन: गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है.वो इसलिए क्योंकि मान्यता के अनुसार इसी तिथि पर महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था. महर्षि वेदव्यास ने ही महाभारत सहित अन्य ग्रंथों की रचना की. इन्होंने ने ही वेदों को अलग-अलग किया और इनके शिष्यों ने उपनिषदों की रचना की. महर्षि वेदव्यास कौरवों और पांडवों के गुरु भी थे और पूर्वज भी. उन्हीं की स्मृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है.महर्षि वेदव्यास ने भविष्योत्तर पुराण में गुरु पूर्णिमा के बारे में लिखा है-
मम जन्मदिने सम्यक् पूजनीय: प्रयत्नत:।
आषाढ़ शुक्ल पक्षेतु पूर्णिमायां गुरौ तथा।।
पूजनीयो विशेषण वस्त्राभरणधेनुभि:।
फलपुष्पादिना सम्यगरत्नकांचन भोजनै:।।
दक्षिणाभि: सुपुष्टाभिर्मत्स्वरूप प्रपूजयेत।
एवं कृते त्वया विप्र मत्स्वरूपस्य दर्शनम्।।