रायपुर:तीन दिसंबर से चला आ रहा सीएम के नाम को लेकर सस्पेंस एक ऐलान के साथ खत्म हो गया. दफ्तर के भीतर से जैसे ही साय के सीएम बनने का ऐलान हुआ बाहर बैठा कार्यकर्ताओं का हुजूम झूम उठा. मिठाईंया बंटने लगी और गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का नारा बुलंद करने लगे. सामान्य कार्यकर्ता से लेकर विधायक और विधायक से लेकर सांसद तक का सफर करने वाले विष्णुदेव साय का जब नाम सीएम पद के लिए पुकारा गया तब भी साय धैर्य के साथ अपनी कुर्सी पर बैठे रहे. सांसद से लेकर केंद्रीय मंत्री और छत्तीसगढ़ की राजनीति से दिल्ली का सफर तय करने वाले साय आज भी उसी सौम्य मुस्कुराहट के साथ सबकी बधाई स्वीकार कर रहे हैं. सीएम पद के लिए बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद विष्णुदेव साय ने पीएम मोदी के सम्मान में नारे लगाए. उन्होंने आलाकमान का शुक्रिया किया. इसके साथ ही विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता से किया गया एक एक वादा बीजेपी पूरा करेगी.
विष्णुदेव साय बने पहली पसंद:बीजेपी केंद्रीय आलाकमान की पहली पसंद के रुप में उभरकर विष्णुदेव साय यू हीं नहीं आए. केंद्र की राजनीति में जब विष्णुदेव साय को मौका दिया तो उन्होने अपनी कार्य क्षमता की बदौलत मंत्रालय में कई ऐसे फैसले लिए जो मील के पत्थर साबित हुए. केंद्रीय नेतृत्व को उनके काम करने का तरीका भी काफी पंसद आया. विष्णुदेव साय को करीब से जानने वाले लोगों का कहना है कि वो मंत्रालय हो या फिर प्रदेश जहां भी जाते हैं काम से जूझते रहते हैं. पर्दे के पीछे रहकर पार्टी को जीत दिलाने का काम हो या फिर जनता के हित में बड़े फैसले लेने का, विष्णुदेव केंद्रीय नेतृत्व की हमेशा पहली पसंद रहे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान पर्दे के पीछे रहकर जिस तरह से साय ने काम किया उसके कायल कार्यकर्ता से लेकर आलाकमान तक है. साय के साथ काम करने वाले कार्यकर्ता और उनके साथी भी उनकी सादगी की तारीफ करते हैं. सांसद और केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद वो आम लोगों की तरफ जनता के बीच रहे. कई बार वो अपने सुरक्षा गार्डों तक को फटकार लगा बैठते हैं, कहते हैं जो मिलने आया है उसे रोको मत पता नहीं किसी मुसीबत में हो.
विष्णुदेव साय का दमदार सियासी सफर: जशपुर के आदिवासी बेल्ट कुनकुरी से जीतकर आने वाले विष्णुदेव साय का कद छत्तीसगढ़ की राजनीति में बहुत बड़ा है. सरगुजा में विष्णुदेव साय को जनता बड़े भाई का दर्जा देकर सम्मान करती है. विष्णुदेव साय ऐसे नेता हैं जो हर जिले के कार्यकर्ता को नाम से पहचानते हैं. बहुत कम ऐसे राजनितिज्ञ होते हैं जो कार्यकर्तओं को उनके नाम से जानते हों.