रायपुर :छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल लंबी बीमारी के बाद चल बसे.सोमवार सुबह रायपुर के बालाजी अस्पताल में इलाज के दौरान नंदकुमार बघेल ने आखिरी सांस ली.जिस समय पिता की मृत्यु हुई उस वक्त भूपेश बघेल पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली में थे.पिता की निधन की खबर सुनते ही भूपेश बघेल तत्काल दिल्ली से रायपुर वापस लौटे. अब विदेश से सगे संबंधियों के आने के बाद ही नंदकुमार बघेल का अंतिम संस्कार किया जाएगा.जिसकी सूचना खुद भूपेश बघेल ने दी है.
जातिवाद के खिलाफ थे नंदकुमार :छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कुरुदडीह गांव के मूल निवासी नंद कुमार बघेल हमेशा से ही जातिवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते आए हैं. प्रगतिशील किसान माने जाने वाले नंदकुमार बघेल ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग समुदायों के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया.इस दौरान वो चुनाव भी लड़े लेकिन कामयाबी नहीं मिली.
रावण को लेकर लिखी की किताब :जाति प्रथा और हिंदुत्व के खिलाफ बोलना नंदकुमार बघेल का गुण रहा है.2001 में नंद कुमार ने 'रावण को मत मारो’ नामक पुस्तक लिखी थी. पुस्तक में दशहरा में रावण का पुतला दहन को समाप्त करने का आह्वान किया गया था. जिसके बाद उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ा.इस किताब के विरोध के कारण पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की सरकार ने पुस्तक को प्रतिबंधित किया था.
पुस्तक में क्या था ? :नंद कुमार ने की पुस्तक वाल्मीकि रामायण, पेरियार की सच्ची रामायण, रामचरित मानस और मनु स्मृति के मिश्रण का एक नया स्वरूप है. बघेल ने किताब पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अपील भी की. लेकिन 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अदालत ने 2017 में नंदुकमार की याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने पुस्तक को हिन्दू धर्म की मान्यताओं के विपरीत माना.साथ ही समाज पर नाकारात्मक असर डालने वाली सामग्री बताते हुए बैन जारी रखा.