रायपुर: वैक्सीन को लेकर इम्यूनिटी लोगों की प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी के स्तर पर निर्भर करती है. लिहाजा किसी वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान अलग-अलग आयु वर्ग के वॉलंटियर को शामिल किया जाता है. भारत में ऐसी वैक्सीन का टीकाकरण महत्वपूर्ण है, जिनका क्लीनिकल ट्रायल यहीं हुआ हो. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का भारत में सीमित स्तर पर ही सही लेकिन ट्रायल जरूर हुआ है. कोवैक्सीन का भी ट्रायल भारत में हुआ है. फाइजर-बायोनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन का भारत में ट्रायल नहीं हुआ है. रूस की स्पूतनिक वी वैक्सीन भारत में वॉलंटियर्स को दी गई है और ट्रायल चल रहे हैं.
फाइजर वैक्सीन
अमेरिकी कंपनी फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन 90 फीसदी सुरक्षा देने में प्रभावी साबित हुई है, लेकिन इस वैक्सीन को बहुत ही ज्यादा ठंडे तापमान (-70 डिग्री) पर रखना होगा. इस वैक्सीन को भारत जैसे देश में एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना सबसे बड़ी चुनौती होगा.
'सामान्य फ्रीज में रख सकते हैं मॉडर्ना वैक्सीन'
मॉडर्ना की वैक्सीन को मात्र -20 डिग्री तापमान पर घर के फ्रीजर में 6 महीने तक बिना खराब हुए रखा जा सकता है. इससे भारत समेत अन्य विकासशील देशों में आसानी से मॉडर्ना की वैक्सीन को स्टोर करके रखा जा सकेगा. इस वैक्सीन को भी वर्तमान कोल्ड चेन की सुविधाओं को इस्तेमाल करके एक जगह से दूसरी जगह तक भेजा जा सकता है. मॉडर्ना ने यह भी कहा है कि उसकी निर्यात की जाने वाली वैक्सीन को 30 दिनों तक सामान्य फ्रीज के अंदर 2 से 8 डिग्री तापमान पर 30 दिनों तक रखा जा सकता है. इसके 10 डोज के वाइल को कमरे के अंदर भी 12 घंटे तक रखा जा सकता है.
स्पूतनिक-वी वैक्सीन