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कोरोना के मोर्चे पर कौन सी वैक्सीन कितनी कारगर? - कोरोना टीकाकरण

भारत में 16 जनवरी से COVID-19 वैक्सीन का टीकाकरण शुरू हो रहा है. इसकी शुरुआत कोविशील्ड और कोवैक्सीन के साथ की जा रही है. ब्रिटेन में फाइजर, मॉडर्ना और कोविशील्ड वैक्सीन लग रही है. अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना का टीका लगाया जा रहा है. रूस में स्पूतनिक वी का इस्तेमाल हो रहा है.

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कोरोना वैक्सीन

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Published : Jan 15, 2021, 10:11 PM IST

रायपुर: वैक्सीन को लेकर इम्यूनिटी लोगों की प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी के स्तर पर निर्भर करती है. लिहाजा किसी वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के दौरान अलग-अलग आयु वर्ग के वॉलंटियर को शामिल किया जाता है. भारत में ऐसी वैक्सीन का टीकाकरण महत्वपूर्ण है, जिनका क्लीनिकल ट्रायल यहीं हुआ हो. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का भारत में सीमित स्तर पर ही सही लेकिन ट्रायल जरूर हुआ है. कोवैक्सीन का भी ट्रायल भारत में हुआ है. फाइजर-बायोनटेक और मॉडर्ना की वैक्सीन का भारत में ट्रायल नहीं हुआ है. रूस की स्पूतनिक वी वैक्सीन भारत में वॉलंटियर्स को दी गई है और ट्रायल चल रहे हैं.

कोरोना वैक्सीन

फाइजर वैक्सीन

अमेरिकी कंपनी फाइजर की कोरोना वायरस वैक्‍सीन 90 फीसदी सुरक्षा देने में प्रभावी साबित हुई है, लेकिन इस वैक्‍सीन को बहुत ही ज्‍यादा ठंडे तापमान (-70 डिग्री) पर रखना होगा. इस वैक्‍सीन को भारत जैसे देश में एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना सबसे बड़ी चुनौती होगा.

'सामान्‍य फ्रीज में रख सकते हैं मॉडर्ना वैक्‍सीन'

मॉडर्ना की वैक्‍सीन को मात्र -20 डिग्री तापमान पर घर के फ्रीजर में 6 महीने तक बिना खराब हुए रखा जा सकता है. इससे भारत समेत अन्‍य विकासशील देशों में आसानी से मॉडर्ना की वैक्‍सीन को स्‍टोर करके रखा जा सकेगा. इस वैक्‍सीन को भी वर्तमान कोल्‍ड चेन की सुविधाओं को इस्‍तेमाल करके एक जगह से दूसरी जगह तक भेजा जा सकता है. मॉडर्ना ने यह भी कहा है कि उसकी निर्यात की जाने वाली वैक्‍सीन को 30 दिनों तक सामान्‍य फ्रीज के अंदर 2 से 8 डिग्री तापमान पर 30 दिनों तक रखा जा सकता है. इसके 10 डोज के वाइल को कमरे के अंदर भी 12 घंटे तक रखा जा सकता है.

स्पूतनिक-वी वैक्सीन

रूस में विकसित स्पूतनिक-वी वैक्सीन के परिणाम काफी असरदार आए हैं. रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-वी ने क्लीनिकल ​​ट्रायल के अंतिम नियंत्रण बिंदु के डेटा विश्लेषण के आधार पर 91.4 प्रतिशत प्रभाव दर्ज कराया है. हालांकि रूस ने अभी ट्रायल के अलावा बड़ी आबादी को कोरोना वैक्सीन नहीं दिया है. बड़े-बड़े इलाकों में बेहद कम खुराकें भेजी जा रही हैं. हालांकि एक स्टडी के मुताबिक यह वैक्सीन सुरक्षित है.

पहले भी एक से ज्यादा वैक्सीन का इस्तेमाल

पोलियो ऐसा वायरस था, जिसकी रोकथाम के लिए दुनिया में एक से ज्यादा वैक्सीन का इस्तेमाल किया गया. एक ओरल पोलियो वैक्सीन, दूसरी इनएक्टिवेटेड पोलियोवायरस वैक्सीन (IPV) शामिल थी. ओरल वैक्सीन भी अलग-अलग किस्मों की इस्तेमाल हुई. आईपीवी तीनों तरह के पोलियो वायरस से सुरक्षा देती है.

कब तक सुरक्षित रखेगी वैक्सीन?

वैक्सीन Pfizer और BioNTech ने अपनी वैक्सीन का एफिकेसी रेट 95 प्रतिशत तक बताया है. जबकि रूस की Sputnik और अमेरिका की Moderna का एफिकेसी रेट 90 से 94.5 प्रतिशत तक है.

वैक्सीन कितने लंबे वक्त तक कोरोना वायरस से सुरक्षित रखेगी? क्या वैक्सीन मौजूदा सभी स्ट्रेन या भविष्य में कोरोना के दूसरे म्यूटेंट स्ट्रेन पर कारगर होगी या नहीं? यह क्लीनिकल ट्रायल के लंबे वक्त के डेटा पर निर्भर करेगा.

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