रायपुर: पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह (Former CM Raman Singh) के शासनकाल के दौरान सुपरकॉप कहने जाने वाले अधिकारी आज भूपेश सरकार (Bhupesh Sarkar) के दौरान लूपलाइन में है. कई के सितारे गर्दिश में चल रहे हैं तो कई अफसरों को साइडलाइन कर दिया है. इनमें कुछ अफसरों के खिलाफ सरकार की तरफ से कार्रवाई की गई है जबकि कई बड़े अधिकारियों को पुलिस मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है.
इन अफसरों की रमन सरकार के दौरान तूती बोलती थी. बिना इनके सलाह के किसी भी प्रकार का फैसला नहीं लिया जाता था. लेकिन आज ऐसे हालात क्यों है कि इन्हें साइडलाइन कर दिया गया है.
IPS मुकेश गुप्ता
छत्तीसगढ़ पुलिस मुख्यालय में एक समय 1988 बैच के आईपीएस मुकेश गुप्ता का खासा दबदबा था. मुख्यालय के अधिकांश फैसलों में मुकेश गुप्ता से सलाह और मशवरा लिया जाता था. आलम यह था कि तत्कालीन डीजीपी भी विभाग के महत्वपूर्ण फैसलों के लिए मुकेश गुप्ता से चर्चा करते थे और उनके सुझाव को प्राथमिकता देते थे. मुकेश गुप्ता रमन शासनकाल में कई महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं फिर वह नक्सल ऑपरेशन से लेकर इंटेलिजेंस विभाग ही क्यों ना हो सभी जहां उन्होंने काम किया है और इन सभी विभागों में उनकी खासी पकड़ रही गुप्ता काफी तेज तर्रार अधिकारी माने जाते हैं. रमन शासनकाल में मुकेश गुप्ता के द्वारा तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज की गई थी इसके बाद से ही मुकेश गुप्ता, कांग्रेस को खलने लगे थे. कई बार तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुले मंच पर पत्रकार वार्ता लेकर प्रशासनिक अमले को चेताया था कि अभी भी मौका है, सुधर जाएं वरना सत्ता परिवर्तन के बाद उन्हें इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे.और हुआ भी कुछ यही, साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने इसके बाद से ही पुलिस मुख्यालय में पदस्थ उच्च पुलिस अधिकारियों की उल्टी गिनती शुरू हो गई.
कई विवादों से जुड़ा है मुकेश गुप्ता का नाम !
मुकेश गुप्ता शुरू से ही विवादों में बने रहे हैं लेकिन उनमें सबसे बड़ा विवाद उनकी कथित पत्नी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत से जुड़ा है. इसके अलावा मदन बाड़ा में हुए नक्सली हमले के दौरान तत्कालीन पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे की शहादत में भी मुकेश गुप्ता की भूमिका के आरोप लगते रहे हैं. गुप्ता पर फोन टैपिंग के भी आरोप लगे हैं. इस मामले को लेकर गुप्ता को निलंबित कर दिया गया. हालांकि लगभग 2 साल बाद उन्हें फिर से बहाल करते हुए सरकार ने पुलिस मुख्यालय में पदस्थ किया . उसके बाद से ही मुकेश गुप्ता लूप लाइन में हैं.
आईपीएस जीपी सिंह
रमन शासनकाल में 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी. वह लगातार पुलिस महकमे में कई महत्वपूर्ण पदों पर बने रहे. जीपी सिंह रायपुर और बिलासपुर के आईजी भी रह चुके हैं. इतना ही नहीं उन्हें रमन शासनकाल ने खेल विभाग का संचालक भी बनाया था. पुलिस विभाग से संबंधित निर्णयों में कई बार जीपी सिंह का सुझाव भी मायने रखता था. वे रमन सरकार के करीबी माने जाते थे.उस दौरान आईपीएस जीपी सिंह लगातार विवादों में बने रहे हैं,चाहे बस्तर में गैलंट्री अवॉर्ड पाने की लालच में ग्रामीणों को नक्सली बताने का मामला हो, या फिर बिलासपुर एसपी के सुसाइड मामला रहा हो. इसके अलावा आईजी के घर से लूट का सामान जब्त करने सहित खेल संचालक रहते हुए भी इन पर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं.
आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ एसीबी की कार्रवाई पर क्या कहा गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने ?
जीपी सिंह के घर पर छापेमार कार्रवाई
सत्ता परिवर्तन के बाद भी जीपी सिंह को ईओडब्ल्यू एवं एसीबी की कमान सौंपी गई. लेकिन यहां भी विवाद ने उनका पीछा नहीं छोड़ा बाद में इन्हें यहां से हटाते हुए जून 2020 में स्टेट पुलिस एकेडमी भेज दिया गया.लेकिन हाल ही में जिस विभाग में वह चीफ रहे उसी विभाग के द्वारा उनके यहां छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया गया . इस तरह जीपी सिंह फिर सुर्खियों में आ गए.
आईपीएस एसआरपी कल्लूरी
1994 बैच के आईपीएस एसआरपी कल्लूरी छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में एक चर्चित चेहरा हैं. नक्सल मोर्चे पर कल्लूरी की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती रही है. रमन शासनकाल में कल्लूरी को बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान की कमान सौंपी गई थी. जिसमें वे काफी हद तक कामयाब भी साबित हुए. लेकिन इस बीच उन पर फर्जी एनकाउंटर और बलात्कार जैसे कई आरोप लगे. बावजूद इसके रमन सरकार में कल्लूरी का वर्चस्व कायम रहा.