रायपुर:छत्तीसगढ़ में 2 जून को नौतपा खत्म होने के बाद से गर्मी और भी बढ़ गई है. मौसम विभाग की ओर लू को लेकर चेतावनी दी जा रही है. जहां एक ओर भीषण गर्मी से आम लोग परेशान हैं. वहीं, दूसरी ओर मानसून में हो रही देरी से खेती किसानी भी प्रभावित हो रही है.छत्तीसगढ़ के ज्यादातर किसान धान की खेती करते हैं. मानसून में हो रही देरी से छत्तीसगढ़ के किसान काफी परेशान हैं. दूसरी ओर मौसम विभाग का कहना है कि जल्द ही प्रदेश के लोगों को गर्मी से राहत मिलेगी. छत्तीसगढ़ में मानसून 23 जून को एंट्री कर सकता है. (When monsoon starts in Chhattisgarh) बस्तर से मानसून की शुरूआत होगी.
क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक:इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक घनश्याम साहू का कहना है कि "मौसम के अनुसार अब तक छत्तीसगढ़ में बारिश की शुरुआत हो जानी चाहिए थी. हालांकि अभी भी प्रदेश में भीषण गर्मी पड़ रही है. मानसून 2 से 4 दिन अगर लेट होता है तो भूजल स्तर कम होने लगता है. इसका सीधा प्रभाव कृषि पर पड़ता है. किसान मजबूरन धान का थरहा ट्यूबवेल के माध्यम से लगाते हैं. बारिश की लेटलतीफी धान की खेती को नुकसान पहुंचाता है. धान के फसल की कई किस्मों की अवधि 125 से 135 दिनों की होती है. ऐसी किस्मों को लगाने के लिए किसानों को सोचना पड़ेगा. मानसून के देर होने पर एक स्थिति ऐसी पैदा होती है कि जुलाई के माह में अगर लगातार बारिश होती है तो वर्षा या खरीफ ऋतु का ड्यूरेशन कम हो जाएगा. ड्यूरेशन कम होने से कुछ फसलों को जलापूर्ति कम होने लगती है."