रायपुर:पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है. सभी वर्ग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. मध्यम और छोटे तबके के लोगों पर इसका ज्यादा असर पड़ा है, क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से उनका रोजगार छिन गया है. देश सहित प्रदेश में कोरोना काल में सबसे ज्यादा रोजगार निजी क्षेत्र में गया है. निजी क्षेत्रों में ज्यादातर लोगों की नौकरियां अनुबंध पर और अस्थाई है. लोग ठेके और दिहाड़ी मजदूरी पर काम कर रहे हैं. श्रम संबंधी कानून और नियम-कायदों का सही पालन नहीं हो रहा है. लॉकडाउन में ज्यादातर छोटे और मझोले उद्योग बंद हो गए. काम बंद होने से आर्थिक संकट की वजह से ज्यादातर लोगों को काम से हटा दिया गया.
काम छिन जाने के बाद इन लोगों ने अपने गांव, शहर और प्रदेश की ओर रुख किया. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में भी लाखों की संख्या में मजदूर पहुंचे, लेकिन यहां भी उनके सामने बेरोजगारी की समस्या जस की तस बनी रही. जीवनयापन के लिए न तो पैसे थे और न ही रोजगार.
छत्तीसगढ़ में मनरेगा की स्थिति-
100 दिन रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर
छत्तीसगढ़ सरकार ने मजदूरों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने की पहल की है. सितंबर 2020 के आंकड़ों के मुताबिक महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार देने में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर रहा है. राज्य में इस साल रिकॉर्ड 26 लाख 5 हजार परिवारों को रोजगार मिला है. इसमें से 84 हजार 455 परिवारों को 100 दिन का रोजगार दिया गया. मनरेगा के तहत 39.79 लाख जॉब कार्डधारी हैं. कोरोना काल के दौरान करीब 2 लाख 37 हजार प्रवासी मजदूरों के जॉब कार्ड बनाए गए. श्रम मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया के मुताबिक राज्य सरकार आने वाले समय में मनरेगा के तहत करीब डेढ़ सौ दिनों का रोजगार देने की व्यवस्था पर विचार कर रही है.
केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
इस साल 13 करोड़ 50 लाख मानव दिवस रोजगार का लक्ष्य रखा गया है. सितंबर तक 9 करोड़ 52 लाख मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है. इसमें महिलाओं को 50% की भागीदारी रही है. केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रस्ताव पर 15 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजन के लक्ष्य को मंजूरी दी थी.
2155 करोड़ की मजदूरी का भुगतान
मनरेगा के तहत 2155 करोड़ रुपए की मजदूरी का भुगतान किया जा चुका है. मनरेगा के कार्यों में दिव्यांगों की भी भागीदारी बढ़ी है. नरवा विकास योजना में चिन्हांकित 1406, नरवा में 66 हजार से ज्यादा भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है. ऐसे नाले जिनका एक हिस्सा वन क्षेत्र से गुजरता है, उसकी DPR वन विभाग तैयार कर रहा है.
परिसंपत्ति की जीओ टैगिंग में भी छत्तीसगढ़ अव्वल
- साल 2017 में मनरेगा के तहत निर्मित परिसंपत्ति की जीओ टैगिंग में छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है.
- इसी तरह वन अधिकार पत्र प्राप्त हितग्राहियों को लाभान्वित करने और ग्राम पंचायतों के विकास के लिए जीआईएस(GIS) यानि Geographic information system केंद्रित योजना तैयार करने में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल है.
- प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, कृषि और उससे जुड़े कार्यों में मनरेगा योजना से खर्चे के मामले में छत्तीसगढ़ देश में तीसरे स्थान पर है.
- मनरेगा से 706 नए ग्राम पंचायत भवन और 672 आंगनबाड़ी केंद्रों को मंजूरी दी गई है.
धान उपार्जन केंद्रों में चबूतरे बनाए गए