रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 7 नवंबर को बस्तर की 12 सीटों पर भी वोटिंग होनी है. इसे लेकर चुनाव आयोग ने सुरक्षा की पुख्ता तैयारी की हुई हैं. 1 लाख से ज्यादा जवान बस्तर में चुनाव ड्यूटी में तैनात किए जा रहे हैं. एक तरफ प्रशासन नक्सल क्षेत्रों में चुनाव को लेकर हाई अलर्ट पर है तो दूसरी ओर नक्सली लगातार पर्चे फेंककर विधानसभा चुनाव बहिष्कार की धमकी दे रहे हैं. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि बस्तर के मतदाताओं पर नक्सली चेतावनी का कोई असर नहीं पड़ता है. बस्तर के मतदाता बढ़ चढ़कर वोट करते हैं. ये बात साबित भी हुई है क्योंकि पिछले 4 बार के विधानसभा चुनावों में बस्तर में मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा है.
बस्तर में चुनाव के दौरान नक्सलियों की धमकी आम बात:वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे बताते हैं कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में जब भी चुनाव होते हैं नक्सलियों की चेतावनी जारी होती है, बैनर लगते हैं, पर्चे बांटे जाते हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में मतदान के प्रति रुझान बस्तर में ही सबसे ज्यादा दिखता है. इसी का असर है कि इस बार के चुनाव में बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में भी मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं. ये छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार हो रहा है. दबाव और प्रभाव के बीच भी बस्तर के मतदाता लोकतंत्र के त्योहार में हिस्सा लेते हैं. 2018 में भी बस्तर के मतदाताओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था.
बस्तर में पिछले चार चुनावों में मतदान प्रतिशत:
- साल 2003 में बस्तर में मतदान प्रतिशत 66.04 फीसदी
- साल 2008 में बस्तर में मतदान प्रतिशत 67.05
- साल 2013 में मतदान प्रतिशत 76 फीसदी
- साल 2018 में मतदान प्रतिशत 76.37 प्रतिशत
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में चार बार के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर नजर डाले तो मतदान प्रतिशत लगातार बढ़ता रहा है. बीजापुर, कोंटा और दंतेवाड़ा में सबसे ज्यादा मतदान हुआ हैं. बीजापुर में साल 2008 में वोटिंग परसेंटेज 29.29 प्रतिशत था जो साल 2018 में बढ़कर 48.18 फीसदी हो गया.
चुनाव बहिष्कार की धमकियों के बीच नक्सलियों ने की हत्याएं:जानकार नक्सलियों की धमकी को भले ही हल्के में ले रहे हो लेकिन हाल ही में नक्सलियों ने चुनाव बहिष्कार की धमकी के बीच तीन ग्रामीणों का अपहरण कर हत्या कर दी. इससे पहले मोहला मानपुर में घर में घुसकर बीजेपी नेता की हत्या कर दी गई थी. नक्सलियों ने भाजपा नेता की हत्या की जिम्मेदारी लेते हुए पर्चा भी जारी किया था, जिसमें लिखा था कि जो भी वोट मांगेगा उसका ऐसा ही अंजाम होगा. वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध दुबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ में चुनाव के समय नक्सली राजनेता की हत्या कर दें ऐसा कभी देखने नहीं मिला. साल 2013 में भी विधानसभा चुनाव था. 25 मई को झीरम घाटी हमला हुआ था. दिसंबर में विधानसभा चुनाव हुए थे. इसके बाद साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले दंतेवाड़ा में भाजपा के विधायक भीमा मंडावी की हत्या की गई, ये हत्या लोकसभा चुनाव से पहले की गई. इसके अलावा ऐसा कोई उदाहरण देखने को नहीं मिला.