रायपुर/हैदराबाद :हर महीने शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी के दिन विनायक चतुर्थी व्रत (Vinayaka Chaturthi Vrat) किया जाता है. यह चतुर्थी भगवान श्री गणेश को समर्पित है. इस दिन श्री गणेश की पूजा दोपहर-मध्याह्न में की जाती है. बुधवार और चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. माना जाता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करना लाभदायी होता है. इस दिन गणेश जी की उपासना करने से घर में सुख-समृद्धि, धन-दौलत, आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान और बुद्धि की भी प्राप्ति होती है. संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत हर महीने में कृष्ण चतुर्थी को किया जाता है. हर महीने में शुक्ल पक्ष चतुर्थी को विनायक गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है. इसमें चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी ली जाती है. यदि 2 दिन का चंद्रोदय व्यापिनी हो तो प्रथम दिन का व्रत करना चाहिए. ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी के दिन विनायकी चतुर्थी दोनों मनाई जाती है. इस बार विनायक गणेश चतुर्थी 3 जून 2022 शुक्रवार को है. अक्षत, फूल से विधिवत पूजन कर, चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. भली प्रकार उनका पूजन करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए स्वयं तेल वर्जित एक बार भोजन करना चाहिए.
जून माह (ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी) की विनायक चतुर्थी 3 जून 2022 शुक्रवार को है. ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी को सुबह उठकर स्नान, ध्यान कर दाहिने हाथ में गंध, पुष्प, अक्षत और फूल लेकर संकल्प करना चाहिए. इस मंत्र को बोलें- मम् वर्तमान आगमिक सकल संकट निरसन पूर्ण सकल अद्विय सिद्धये विनायक चतुर्थी व्रतं अहं करिष्ये. मंत्र के साथ व्रत का संकल्प लेकर दिन भर उसे मौन रहना चाहिए. इसके बाद शाम को एक बार फिर से स्नान ध्यान कर चौकी या बेदी पर गणेश जी की स्थापना करनी चाहिए. इसके बाद गणेश जी के 16 नामों के द्वारा षोडशोपचार कर उनका पूजन करना चाहिए. कपूर या घी की बत्ती जला कर उनकी आरती करनी चाहिए. इसके बाद मंत्र पुष्पांजलि करनी चाहिए.
यज्ञेन यज्ञं अयजन्त देवाः तानि धर्माणि प्रथामानि आसन् तेह नांक महिमानः सचन्तयत्र पूर्वे साध्याः संति देवा:
इस मंत्र के बाद सुपारी अक्षत जो भी सामग्री हो उसे भगवान को चढ़ा कर वहां उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद का वितरण करना चाहिए. इसके बाद चंद्रोदय होने पर चंद्रमा का भी गंध, अक्षत, फूल से विधिवत पूजन कर, चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री विनीत शर्मा ने बताया कि भगवान गणेश को दूर्वा की माला दूर्वा आदि चढ़ाया जाता है. भगवान गणेश को मोदक का लड्डू भी अत्यंत प्रिय है. यह भगवान गणेश (Lord Ganesh) को चढ़ाना चाहिए. 10,11,21 की संख्या में गणेश जी को लड्डू का भोग लगाया जाना चाहिए. 5 लड्डू पुरोहितों को देना चाहिए और शेष श्रद्धा पूर्वक बंधु-बांधव के साथ परिवारजनों को आस्थापूर्वक बांट देना चाहिए. भगवान गणेश को धूप, दीप अबीर, चंदन, फल, फूल, बंधन, कुमकुम, शुद्ध जल, गंगाजल, दूध, दही, पंचामृत, उप वस्त्र, वस्त्र, ऋतु फल, का अभिषेक करना चाहिए. आज के दिन गणेश चालीसा, गणेश अथर्वशीर्ष, गणेश सहस्त्रनाम, गणेश की आरती, गणेश वंदना श्रद्धा पूर्वक करना चाहिए. रात्रि के समय चंद्र दर्शन के बाद ही चंद्र देवता को अर्ध्य देकर उपवास का समापन किया जाता है. चंद्र अर्ध के बाद ही फल फूल दूध आदि से उपवास तोड़ना चाहिए. आज के शुभ दिन गजराज यानी हाथी का दर्शन शुभ माना गया है. यदि हाथी नजर आए तो उसे गन्ना, केला, हरी घास अर्पित करने का विधान है. भगवान श्री गणेश जी को केला और गन्ना विशेष रूप से प्रिय हैं.
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