रायपुर: वैशाख कृष्ण पक्ष की एकादशी वरुथिनी एकादशी के रूप में जानी जाती है. 16 अप्रैल रविवार धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र शुक्ल योग मातंग योग बालव और कौरव करण के सुंदर संयोग में वरुथिनी एकादशी मनायी जाएगी. इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है. शनि शतभिषा में शनि युति है. वरुथिनी एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है. यह एकादशियो में सर्वोत्तम मानी गई है. इस दिन व्रत करने पर संतान संबंधी बाधाएं दूर होती है. इस दिन किसी भी तरह के पत्तों को नहीं तोड़ना चाहिए. इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.
वरुथिनी एकादशी व्रत से प्रसन्न होती है माता लक्ष्मी:एकादशी व्रत की तैयारी दशमी तिथि की रात्रि से ही शुरू कर देनी चाहिए. दशमी तिथि को सायंकाल से ही सात्विकता ब्रम्हचर्य ऊंचे नैतिक मूल्यों के साथ समय व्यतीत करना चाहिए. दशमी तिथि से ही सकारात्मकता और पवित्र चिंतन को अपने मन वचन और कर्म में लाने का प्रयास करना चाहिए. एकादशी के दिन प्रातः काल योग ध्यान स्नानादि से निवृत्त होकर. शुद्ध अंतःकरण से पूजा स्तुति और पाठ करना चाहिए. वरुथिनी एकादशी के दिन उपवास करने पर लक्ष्मी माता बहुत प्रसन्न होती है. धन संबंधी समस्याएं दूर होती है. वरुथिनी एकादशी के दिन व्रत उपवास दान संकल्प लेने से कामनाएं सिद्ध होती है. मित्रों को सहयोग देने से जरूरतमंद गरीब दीन हीन जनों को दान पुण्य का भी लाभ लेना चाहिए. इसी तरह आज के दिन दिव्यांग जनों की भी सेवा करनी चाहिए.