छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

valentines day 2023: छतीसगढ़ की अनोखी प्रेम कहानी लोरिक चंदा का इस गांव से है संबंध, लोकगाथाओं में है प्रचलित

Chhattisgarh unique love story Lorik Chanda 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे है. कहतें हैं यह दिन प्रेमी जोड़े का दिन होता है. इस खास दिन के मौके पर हम आपको छत्तीसगढ़ की अनोखी प्रेम कहानी के बारे बताने जा रहे हैं. यह कहानी छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के 8 राज्यों में प्रचलित है. लोकगाथाओं में भी "लोरिक चंदा" की प्रेम कथा का बखान होता है.

Chhattisgarh unique love story Lorik Chanda
छतीसगढ़ की अनोखी प्रेम कहानी लोरिक चंदा

By

Published : Feb 13, 2023, 6:31 PM IST

Updated : Feb 13, 2023, 7:17 PM IST

छतीसगढ़ की अनोखी प्रेम कहानी लोरिक चंदा

रायपुर: यह प्रेम कहानी राजधानी रायपुर से लगे आरंग इलाके की है. प्रचलित कथा के अनुसार राजा महर की पुत्री चंदा और अहीर यानी यादव जाति के लोरिक के बीच गहरा प्रेम प्रसंग था. इनकी प्रेम कहानी पर फिल्म के साथ ही कई गीत भी लिखे गए हैं. लोरिक और चंदा की प्रेम कहानी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम लोरिक के गांव रीवा पहुंची, जहां हमारी टीम ने लोरिक चंदा के नाम से किताब लिखने वाले रीवा गांव के संतोष कुमार साहू से खास बातचीत की. आइये जानें, क्या है लोरिक चंदा की अमर प्रेम कहानी.

क्या है लोरिक चंदा की प्रेम कहानी:रीवा गांव के संतोष कुमार साहू कहते हैं कि "लोरिक चंदा एक प्रणय गाथा है. यह गढ़ गौरा और ग्राम रीवा से संबंधित है. चूंकि राजा मोरध्वज की नगरी के रूप में आरंग को जानते हैं, जो पूर्व में गढ़ गौरा के नाम से भी प्रचलित था. उस दौरान वह राज्य राजा महर का था. राजा महर की पुत्री का नाम चंदा था. चंदा को रीवा गांव के लोरिक से प्रेम हो गया था. लोरिक के पिता अपने दो बच्चों के साथ जब दूसरे राज्य से आए, तो उन्होंने राजा महर को एक भैंस का बच्चा भेंट किया था. वह भैंस बहुत ही अद्भुत था. जिससे राजा महर प्रसन्न हुए और लोरिक के पिता को रीवां में राज्य करने का आदेश दे दिया.



चंदा का रिश्ता लोरिक के बावन से हुआ था तय:संतोष साहू बताते हैं कि "राजा महर ने अपने बेटी चंदा का रिश्ता लोरिक के बड़े भाई बावन से तय किया था. लेकिन लोरिक का बड़ा भाई कुछ कारणवश मोह माया को त्याग कर तपस्या करने जंगल की ओर निकल गए. उनके पिताजी को बड़ा दुख हुआ कि मैं राजा से कैसे ये बात करूं, कैसे मैं उनको बताऊं. चूंकि रिश्ता तय हो चुका था, उस समय लोरिक 18 साल का युवा था. वह दिखने में भी बहुत अच्छा था.

पहली मुलाकात में ही एक दूसरे को दिल दे बैठे लोरिक और चंदा: संतोष साहू बताते हैं कि "लोरिक भी अपने पिता के साथ राजा मेहर के महल गए थे, जहां लोरिक और चंदा की मुलाकात हुई. चंदा उसे देख कर बहुत प्रभावित हुई, जिसके बाद दोनों का प्रेम गाथा शुरू हुआ. कहते हैं हमारे छत्तीसगढ़ में जो लोकगाथा गाया जाता है और उस गाथा में यह बात सामने आती है कि '12 पाली गढ़ गौरा, 16 रीवा के खोर, पलना में बइठे कुंवर चंदा, लेवत हे लोरिक के शोर...' ये बातें लोरिक चंदा की गाथा में खुलकर सामने आती हैं. इसी आधार पर इनका कथा और प्रणयलीला शुरू होता है."

यह भी पढ़ें:Valentines day 2023: युवा कर रहे प्यार का इजहार, गिफ्ट आइटमों से सजे बाजार

बंशी की धुन देती थी चंदा को सुनाई:संतोष साहू बताते हैं कि "लोरिक अपने साथ एक बांसुरी रखता था, वह बहुत बहुत अच्छा बांसुरी बजाता था. उनके स्वर राज महल तक सुनाई देती थी. चंदा बांसुरी की आवाज सुनकर दौड़कर चली आती थी. दोनों की प्रणयलीला रीवा से शुरू होती थी. इस तरह से ग्राम रीवा के हर गली में उनका एक प्रकार से मिलन और प्रेम गाथा की कहानी प्रचलित है."

लोकगीत में भी मिलता है ग्राम रीवा का जिक्र: संतोष साहू बताते हैं कि "वर्तमान में ऐसा कोई सबूत तो नहीं है, लेकिन लोकगीत में यह बात जरूर आती है. रीवा का नाम जरूर लिया जाता है. उसी के आधार पर यह कहानी आगे बढ़ती है. कहतें है उस समय चंदा को पाने के लिए लोरिक ने काफी लड़ाई भी लड़ी, लोगों के ताने भी सुने, उनको बहुत सारे यातनाएं भी मिली. जैसे कि हीर-रांझा की कहानी है, उसी प्रकार से यह कहानी भी आगे बढ़ती है और इस गांव को लोग आज भी लोरिक नगर ग्राम रीवा के नाम से जाना जाता है."

लोरिक चंदा पर लिखी गई है किताब: संतोष साहू बताते हैं कि "हम लोग भी गांव वाले अच्छा महसूस करते हैं कि हमारा गांव लोरिक का गांव हैं. हम लोग जहां पर भी बोर्ड वगैरह बनाते हैं, तो उस जगह में लोरिक नगर गढ़ रीवा के नाम से इस गांव का नाम लिखते हैं. सन 1984 में इनका एक किताब लिखा था. डॉ मन्नू लाल यदु ने किताब का निर्देशन किया था. उस किताब की काफी सारी प्रति बिक चुकी है."

कहानी के अंत में लोरिक की हो जाती है चंदा:संतोष साहू बताते हैं कि "आरंग के रीवां गांव से लोरिक और चंदा की प्रेम कहानी की शुरुआत हुई और कहानी के अंत में चंदा लोरिक की हो जाती है. जब से लोकगाथाओं से लेकर आज के समय एलबम गीतों और फिल्में में भी इनकी प्रेम कहानी का जिक्र मिलता है. इनकी प्रेम कहानी पर फ़िल्म और गीत भी बने हैं.


रीवां में उत्खनन में मिले अवशेष: आरंग स्थित रीवां ऐतिहासिक गांव है. यहां पुरातत्व विभाग को उत्खनन में बहुत से अवशेष मिले हैं. पुरातत्व विभाग की माने, तो रीवां एक ऐसा गांव है, जहां उत्खनन में सर्वाधिक सिक्के मिले हैं. तालाब के किनारे एक टीला है. उस टीले में खुदाई के दौरान पुरातत्व विभाग को 6 हजार ईसा पूर्व के भी सिक्के मिले हैं.

Last Updated : Feb 13, 2023, 7:17 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details