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रायपुर: डिजिटल काव्य गोष्ठी का आयोजन, कोरोना, बेरोजगारी, गुरू पर कविताएं

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Published : Sep 10, 2020, 12:27 PM IST

रायपुर में वक्ता मंच द्वारा डिजिटल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें मौजूदा हालातों पर कवियों ने अपनी काव्य रचना सुनाई.

Digital poetry seminar
डिजिटल काव्य गोष्ठी

रायपुर:प्रदेश की प्रतिष्ठित सामाजिक एवं साहित्यिक संस्था वक्ता मंच की मासिक काव्य गोष्ठी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर रखी गई. गूगल मीट के माध्यम से आयोजित इस गोष्ठी में 10 से ज्यादा कवियों ने वर्तमान हालातों पर धारदार रचनाएं प्रस्तुत की. वक्ता मंच के अध्यक्ष राजेश पराते ने बताया की काव्य संध्या में डॉ कमल वर्मा, सुनील पांडे, कुमार जगदलवी, छत्रसिंह बच्छावत, शिवानी मैत्रा, शुभम साहू, दिलीप टिकरिहा, मिनेश कुमार साहू, चेतन भारती, प्रकाश लुनावत, चंद्रेश वर्मा, मोहित शर्मा, नीता पालेकर, विद्या गुप्ता, रवि सिन्हा सहित कई गणमान्य कविगण उपस्थित रहे.

गोष्ठी का शुभारंभ डॉ कमल वर्मा ने सुमधुर सरस्वती वंदना के साथ किया:

मौजूदा हालातों पर काव्य रचना

माता शारदा, इतना तू दे वरदान,
तेरे चरणों में रहे मेरा ध्यान
श्वेताम्बरी तू हंस वाहिनी,
वीणापाणी, ज्ञान दायिनी
प्रदिप्त करती तेरी आभा,
कैसे करती बखान

इसके बाद कुमार जगदलवी ने अपने चिर परिचित अंदाज में ये रचना पढ़ी:

जेन पुछे हौ, तो बताएं रहे हैं

कॅरोना को ही तो गरियाए रहे हैं

घर दुआरे बईठ के,

बबरी अउर दाढ़ी बढ़ाए रहे है

मेहरारू कसम खाये रहे है.

डिजिटल काव्य गोष्ठी का आयोजन

वरिष्ठ कवि सुनील पांडे ने कोरोना काल मे जारी विसंगतियों को इन पंक्तियों में समेटा:

हाथ धोते-धोते पत्थर ना बन जाए
मास्क ढोते-ढोते मुकद्दर ना बन जाए.

शिवानी मैत्रा ने इन सुंदर पंक्तियों को पढ़ा:

गुरु ने दिया, हमें जो ज्ञान

उन्हें कभी भी भुला नहीं पाएँगे

आलोकित किया, जिन्होंने अपने सुविचारों से

उन्हें हमेशा अपने स्मृति पटल पर रख पाएँगे

कोटि-कोटि प्रणाम गुरु के चरणों पर

गुरु और ज्ञान, एक साथ चलते हैं ज़िन्दगी के सफर पर

बेरोजगारी के इस भयावह दौर में चंद्रेश वर्मा ने अपने लयबद्ध गीत से युवाओं के दर्द को व्यक्त किया:

जीना होगे बेकार रे संगी, जिंनगी होगे निराधार

सपना सजाए रेहेव मऊ हा बनहू कोनो बड़े अधिकारी

बन बन मैहा किजरत हवव बनके आज भिखारी

दाई ददा हा आस लगाए बाट ला जोहट रहिथे

खाली हाथ जब मैं घर जाथौ मूड धर के रोवत रहिथे.

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