रायपुर:राजधानी के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मुख्य फसल अदरक और हल्दी के साथ ही उतेरा खेती के रूप में गोभी, पत्ता गोभी और गांठ गोभी की खेती की जा रही है. छत्तीसगढ़ में उतेरा खेती बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर संभाग में की जाती है. यहां के किसान मुख्य फसल धान के साथ तिवड़ा, महातिवड़ा (लाख), अलसी और करायत की फसल उगाते हैं. मुख्य फसल के पकने या कटाई के पहले दूसरी फसल की बुवाई कर दी जाती है. जिसे उतेरा खेती के नाम से जानते हैं. जिससे दोनों फसलों को खाद और पानी एक साथ मिलता है. किसानों को मुख्य फसल के साथ दूसरी फसल भी आसानी से मिल जाती है. मेहनत और मजदूर की भी बचत होती है.
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इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शोधार्थी ने दी जानकारी
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय शोधार्थी सेवन खुटे ने बताया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में जुलाई के महीने में मुख्य फसल के रूप में हल्दी और अदरक की फसल लगाई गई है. इसके साथ ही उतेरा खेती के रूप गोभी वर्गीय फसल की खेती की जा रही है. जिसमें गांठ गोभी, फूल गोभी और पत्ता गोभी की फसल ली जा रही है. उन्होंने बताया कि अगर मुख्य फसल बारिश या किसी कारण से प्रभावित होती है तो उसकी भरपाई दूसरी फसल कर देता है. जिससे किसानों को ज्यादा नुकसान नहीं होता है. ऐसे में मुख्य फसल को जो खाद और पानी दिया गया है. उसी से उतेरा खेती आसानी से हो जाती है.
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रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग में होती है उतेरा की खेती
उतेरा खेती छत्तीसगढ़ के रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग के किसान ज्यादा करते हैं. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के शोधार्थी ने बताया कि, छत्तीसगढ़ के साथ ही वर्षा आधारित क्षेत्र ओडिशा और बिहार के किसान भी उतेरा खेती करते हैं. सामान्यता उतेरा की खेती मुख्य फसल धान में की जाती है. धान की फसल कटाई के लगभग 15 दिन पहले जब बालियां पकने की अवस्था में हो अर्थात अक्टूबर से नवंबर माह के बीच उतेरा के बीज लगा दिए जाते हैं. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए. जिससे बीज गीली मिट्टी में चिपक जाए. खेत में पानी ज्यादा ना हो अन्यथा लगाए गए बीज के सड़ने और खराब होने की संभावना बनी रहती है