रायपुर: दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ Late Panchayat Teachers Compassionate Association अपनी 1 सूत्रीय मांग अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर पिछले 66 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. अनुकंपा संघ का यह प्रदर्शन 20 अक्टूबर से शुरू हुआ था, जो आज भी अनवरत रूप से जारी है. अब तक अनुकंपा संघ के द्वारा सरकार को जगाने के लिए कई तरह के प्रदर्शन कर चुके हैं. बावजूद इसके सरकार और प्रशासन की ओर से अब तक अनुकंपा नियुक्ति को लेकर कोई भी सकारात्मक जवाब अनुकंपा संघ को नहीं मिला है. जिसके कारण अनुकंपा संघ में आक्रोश और नाराजगी भी देखने को मिली.
रायपुर में अनुकंपा संघ का अनोखा प्रदर्शन, छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन की लगाई दुकान - दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ
रायपुर की सड़कों पर छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन और सब्जी की दुकान नजर आई. यह दुकान किसी व्यापारी की नहीं बल्कि दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ Late Panchayat Teachers Compassionate Association की दुकान थी, जिन्होंने सरकार को जगाने के लिए शुक्रवार को अनोखा प्रदर्शन (Unique protest of Compassionate Union in Raipur) किया. इस प्रदर्शन में अनुकंपा संघ ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन चीला, फरह, गुलगुल भजिया और चौसेला जैसी व्यंजन बनाने के साथ ही सब्जी की दुकान भी लगाई थी. इस अनोखे विरोध प्रदर्शन के माध्यम से अनुकंपा संघ अपनी आर्थिक स्थिति को सरकार के सामने बयां कर रही हैं, ताकि सरकार इनकी दशा और दिशा को समझकर उन्हें अनुकंपा नियुक्ति का सौगात दे सकें.
![रायपुर में अनुकंपा संघ का अनोखा प्रदर्शन, छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन की लगाई दुकान Unique protest of Compassionate Union in Raipur](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-17291864-thumbnail-3x2-im.jpg)
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प्रदर्शन कर रही इन विधवा महिलाओं का कहना है कि "सरकार के कई मंत्रियों से इन्हें सिर्फ और सिर्फ बीते 66 दिनों के दौरान आश्वासन ही मिला है, लेकिन अनुकंपा संघ अपनी 1 सूत्रीय मांग अनुकंपा नियुक्ति को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. राह देख रहे हैं तो सिर्फ अनुकंपा नियुक्ति का आदेश जो अब तक नहीं मिल पाया है, जिसके कारण सड़क की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं. शुक्रवार को सरकार को अपनी व्यथा और परेशानी को दिखाने के लिए मजबूरन सब्जी की दुकान लगाने के साथ ही छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन की दुकान सजाकर सामानों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है."