रायपुर:भारत ही नहीं विश्वभर में भगवान श्रीहरि के अवतार श्रीकृष्ण की अनेक लीलाएं प्रचलित हैं. भगवान श्रीकृष्ण के बारे में जितना जानते हैं, मन में उनके बारे में और जानने के लिए उत्सुकता बढ़ जाती है. आपने भी बचपन से लेकर अब तक श्रीकृष्ण की कई कहानियां सुनी या पढ़ी होगी. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण के कुछ ऐसे भी रहस्य हैं जिनके बारे में आज भी बहुत कम लोग ही जानते हैं. तो चलिए आज हम आपको भगवान श्रीकृष्ण के उन्हीं रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारें में बहुत कम लोगों को ही जानकारी है.
भगवान श्रीकृष्ण के शरीर का रंग:पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का रंग श्यामवर्ण था. श्यामवर्ण का मतलब गेहुंआ रंग से है. प्राचीन काल से यह माना जाता रहा हैं कि असल में भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्याम रंग का था. जिस प्रकार बादल का रंग नीला, काला और सफेद रंग के मिश्रण जैसा होता है.
भगवान श्रीकृष्ण के शरीर का गंध:भगवान श्रीकृष्ण के शरीर से एक बेहद आकार्षक सुगंध निकलती थी. जो गोपीकाचंदन और रातरानी की मिलीजुली सुगंध की तरह थी. इसे अष्टगंध भी कह जाता है. कथाओं में जिक्र है कि कई बार भगवान वेष बदलकर अपनी लीलाओं को अंजाम देते थे, किन्तु अपने शरीर की विशेष गंध की वजह से वे पहचान लिए जाते थे.
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भगवान श्री कृष्ण कलरीपयट्टू के जनक:विश्व के सबसे प्राचीनतम मार्शल आर्ट कलरीपयट्टू के जनक भगवान श्री कृष्ण को माना जाता है. प्राचीन मान्यताएं हैं कि अपने द्वारा ईजात इसी विद्या से भगवान ने हाथेली के प्रहार से ही कंस के शरीर को फाड़ दिया और उसका वध किया था. यह माना जाता है कि प्रलयकारी सेना बनाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने इसी विद्या की नींव रखी थी. प्राचीनतम मार्शल आर्ट कलरीपयट्टू के जरिये ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी नारायणी सेना तैयार की थी, जो अजेय थी. तब के किसी भी सेना और राजओं में इतना साहस नहीं था कि वह श्रीकृष्ण या उनकी नारायणी सेना से टकराने की भी सोंचे.
भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु का रहस्य:भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु का क्या रहस्य है यह आज भी लोगों की जिज्ञासा का विषय बना हुआ है. भागवत पुराण के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण एक दिन एक पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे. तभी वहाँ जरा नामक एक बहेलिया आया और उसने जब दूर से श्रीकृष्ण के चरणों को देखा, तो उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि वहाँ कोई हिरण बैठा हुआ है. उसने हिरण समझकर तीर चला दिया, जो सीधा श्रीकृष्ण के चरणों में जा लगा. जब उसने पास आकर देखा तो तीर किसी हिरण को नहीं बल्कि श्रीकृष्ण को लगा है, तो वह रोते हुए उनसे क्षमा याचना करने लगा. तब श्रीकृष्ण ने उसे बताया कि “हे जरा तुम ही तो मेरे राम अवतार के युग में बाली के रूप में थे और तब मैंने तुम्हें भी छुपकर तीर मारा था. त्रेतायुग से तुमपे तीर मारने का जो आरोप मुझ पर लगा हुआ था, आज तुम्हारे तीर चलाने से मैं उससे मुक्त हो गया.” यह कहते हुये भगवान श्रीकृष्ण ने जरा को गले से लगा लिया. अचानक भगवान के शंख, चक्र, कमलपुष्प और गदा सभी एक साथ प्रकट हुए. जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण अंर्तध्यान हो गए.