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Unemployment Allowance : छत्तीसगढ़ में नहीं हैं बेरोजगार तो किसे देगी 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता भूपेश सरकार - Unemployment Allowance

छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने बजट में बेरोजगारों को 2500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान किया है. जबकि खुद राज्य सरकार के दावे के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर 0.1 फीसदी है. विपक्ष चुनावी साल में बेरोजगारी भत्ता के एलान पर सवाल उठा रहा है. कांग्रेस इसे यूथ के साथ किया अपना कमिटमेंट बता रही है. हालांकि सियासी जानकारों का कहना है कि यह छत्तीसगढ़ के करीब 35 फीसदी वोट बैंक को साधने की रणनीति है.

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छत्तीसगढ़ के आंकड़ों में बेरोजगारों को लेकर सवाल

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Published : Mar 17, 2023, 4:58 PM IST

बेरोजगारी भत्ते पर सियासी महाभारत

रायपुर : सीएमआईई (CMIE) की नवंबर 2022 रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 0.1 फीसदी बेरोजगारी दर रही. हालांकि मार्च 2023 में सीएमआईई रिपोर्ट में यह बेरोजगारी दर बढ़कर 0.8 फीसदी हो गई. यानी छत्तीसगढ़ में 100 में से एक व्यक्ति भी बेरोजगार नहीं है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में 12वीं पास युवा शिक्षित बेरोजगारों को 2500 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने का ऐलान किया है. इसके लिए बेरोजगारों का 2 साल पहले रोजगार कार्यालय में रजिस्ट्रेशन जरूरी है. पारिवारिक आय भी ढाई लाख से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. चुनावी साल में भूपेश सरकार के इस ऐलान के नफा नुकसान को लेकर सियासी गलियारे में हलचल मची है.


बीजेपी ने आंकड़ों पर उठाए सवाल :छत्तीसगढ़ सरकार के बेरोजगारी भत्ता देने के ऐलान पर भाजपा ने सवाल उठाया है.भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने सवाल उठाया है कि "कांग्रेस ने अपने जन घोषणापत्र में 10 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने या 2500 रुपये देने की बात कही थी. रोजगार कार्यालय में रजिस्टर्ड बेरोजगार की संख्या 18 लाख 79 हजार है. सरकार बोल रही है कि 0.1 परसेंट बेरोजगारी है तो फिर 18 लाख 79 हजार बेरोजगार कहां से आए? कांग्रेस सरकार बेरोजगारों से उनका हक छीन रही है.''


कांग्रेस ने बताया अपना कमिटमेंट : कांग्रेस भी बीजेपी को लगातार इस मुद्दे पर जवाब दे रही है. कांग्रेस नेता विनय जायसवाल कहते हैं ''जो बेरोजगारी दर के आंकड़े दिए गए, वे सेंट्रल एंप्लॉयमेंट एजेंसी के आंकड़े हैं. बेरोजगारी भत्ता 12वीं पास लोगों के लिए है, जिनके परिवार की वार्षिक आय का स्लैब ढाई लाख रुपए से कम है. यही कमिटमेंट भी किया गया था.''

क्या कहते हैं जानकार :वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि ''यह आंकड़ों की बाजीगरी है. किसी भी राज्य के पास अपने राज्य के बेरोजगार की संख्या नापने की कोई इकाई ही नहीं है. हाल ही में विधानसभा में सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि रोजगार कार्यालय में पंजीयन के आधार पर हम बेरोजगारों की संख्या का पता लगाते हैं. बेरोजगारों के आंकलन का कोई सिस्टम नहीं है. रोजगार चाहने वाला ही बेरोजगार होता है. सरकार की अपनी खुद की एक बेरोजगारी मापने की व्यवस्था होनी चाहिए. बेरोजगारों के सर्वे की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की होनी चाहिए. बेरोजगारी के आंकड़े, रोजगार के आंकड़े, बेरोजगारी भत्ते की राशि, इन सब में घालमेल है.''

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युवा वोट बैंक को साधने की कोशिश! :छत्तीसगढ़ युवाओं का प्रदेश है. करीब 35% आबादी 30-35 साल से कम आयु की है. शशांक शर्मा के मुताबिक ''हमारे यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की अधिकतम आयु 35 वर्ष है. जो प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है, वह बेरोजगार हैं. उनको यदि आप 2500 रुपए देकर साधना चाहते हैं तो इसका लाभ मिल सकता है. बेरोजगारी भत्ता प्रदेश में रहने वाला हर बेरोजगार भी चाहता है. सरकार को रोजगार देने की यदि व्यवस्था नहीं हो रही है तो बेरोजगारी भत्ता देने की बात ठीक है. निजी क्षेत्र में भी इस तरह का वातावरण तैयार करना पड़ेगा कि हमारे युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल सके.''

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