रायपुर: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सोमवार को छत्तीसगढ़ में दो नए कीर्तिमान स्थापित हुए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल पर प्रदेश में पहली बार शहरी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों और टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र के गांवों को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता पत्रों के वितरण की शुरूआत हुई.
यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित हुआ. कार्यक्रम में उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र के गांव करही के वन अधिकार समिति के अध्यक्षों को समुदायिक वन संसाधन अधिकार प्रदान किए. इसके साथ ही उदंती-सीतानदी टायगर रिजर्व के कोर क्षेत्र की बरोली और बहीगांव की ग्राम सभाओं को भी समुदायिक वन संसाधन अधिकार के मान्यता पत्र दिए गए.
इसी तरह प्रदेश में पहली बार शहरों में रहने वाले आदिवासी समुदाय को वहां के जंगलों पर अधिकार देने की शुरूआत हुई. इसकी शुरूआत धमतरी जिले की नगर पंचायत नगरी से की गई. यह नगर पंचायत तीन गांवों से मिलकर बनी थी- चुरियारा, तुमबाहरा और नगरी, जहां इन तीनों को कुल 10 हजार 200 एकड़ जंगल पर सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार दिए गए.
हरेली तिहार पर सीएम का जुदा अंदाज, गेड़ी और गुल्ली डंडा खेलते आए नजर
इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के कुल 700 गांवों को समुदायिक वन संसाधन का अधिकार सौंपा गया. इनमें से अकेले सूरजपुर के 150 गांव और कांकेर जिले के 143 गांव शामिल हैं. इसके अलावा कार्यक्रम में विभिन्न शहरी क्षेत्र में 9 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र भी दिए गए. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके पहले बूढ़ादेव और मां दन्तेश्वरी की पूजा-अर्चना की. शहीद वीर नारायण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. नगर से आए लोक नर्तकों, मांदरी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति हुई. मुख्यमंत्री ने नर्तक दल में शामिल होकर उनका उत्साह बढ़ाया.