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क्या फिर दिल्ली में आमने सामने होंगे बघेल और सिंहदेव समर्थक ?

पंचायत मंत्री पद से सिंहदेव के इस्तीफे के बाद कांग्रेस में घमासान है. इस मामले में पीएल पुनिया के माध्यम से हाईकमान तक संदेश पहुंचाया गया है. कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले कुछ दिनों में बघेल और सिंहदेव के समर्थक एक बार फिर दिल्ली में जमा हो सकते हैं. दोनों अपनी अपनी बात हाईकमान के सामने रख सकते हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ की राजनीति का फैसला क्या दिल्ली आलाकमान से होगा.

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छत्तीसगढ़ की लड़ाई दिल्ली तक आई

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Published : Jul 20, 2022, 11:13 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. सिंहदेव के इस्तीफे के बाद बघेल और सिंहदेव के समर्थक खुलकर आमने सामने आ गए हैं. जहां बघेल के समर्थकों ने सिंहदेव के खिलाफ पुनिया को शिकायत करते हुए हाईकमान से कार्रवाई की मांग की है. वहीं सिंहदेव के समर्थकों ने भी सरकार के कामकाज पर उंगली उठाते हुए इस मामले में हाईकमान से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है.


सिंहदेव के इस्तीफे को लेकर विधानसभा में हुआ जमकर हंगामा:छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. मंत्री टी एस सिंह देव के इस्तीफे के बाद मचा घमासान अभी भी लगातार जारी है. इस मामले को लेकर आज विधानसभा के मानसून सत्र में जमकर हंगामा देखने को मिला. यहां तक कि इस हंगामे को देखते हुए विधानसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी गई. कल भी विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सिंहदेव के इस्तीफे के मामला सदन में गूंज सकता है.

क्या बघेल और सिंहदेव समर्थकों के बीच दिल्ली में हो सकता है शक्ति प्रदर्शन ?: राजनीति के जानकार एवं वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि यह मामला जल्द थमता नजर नहीं आ रहा है. इसकी गूंज छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक सुनाई दे सकती है. भले ही पार्टी पदाधिकारी इस मामले में हाईकमान की तरफ से निर्णय लेने की बात कह रहे हैं. लेकिन जिस तरह की परिस्थिति वर्तमान में छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बनी है. उसे देखते हुए तो यही लगता है कि आने वाले समय में दिल्ली में भी शक्ति प्रदर्शन हो सकता है हालांकि मामला सीएम बदलाव का नहीं है. बावजूद इसके कौन विधायक किसके पक्ष में है इसका प्रदर्शन जरूर हो सकता है?

छत्तीसगढ़ की राजनीति में उठ रहे ये सवाल:वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि "यह कांग्रेस सरकार का आंतरिक मामला है. दूसरा सीएम का विशेषाधिकार है कि वह इस्तीफा मंजूर करें या ना करें. तीसरा क्या वाकई में सिंहदेव की उपेक्षा की जा रही है. सरकार में काम काज ठीक नहीं चल रहा है. या फिर यह दबाव के लिए दिया गया इस्तीफा है. ऐसे तमाम सवाल हैं जो अब छत्तीसगढ़ की राजनीति में उठ रहे हैं"

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हाईकमान के सुपुर्द सिंहदेव के इस्तीफे का मामला:हालांकि यह पूरा मामला वर्तमान में कांग्रेस हाईकमान के सुपुर्द किया गया है. ऐसे में इसका निर्णय अब कांग्रेस हाईकमान लेगा. इस्तीफा मंजूर होगा कि नहीं होगा या फिर दूसरा विभाग दिया जाएगा. इन सब मामले पर दिल्ली में राजनीति केंद्रित हो गई है.

दिल्ली में पहली बार जैसा विधायकों का नहीं होगा जमावड़ा: रामअवतार तिवारी ने कहा कि "पिछली बार मुख्यमंत्री बदलने का मामला था. ढाई ढाई साल के फॉर्मूले को लेकर चर्चा थी जिस वजह से सारे विधायक दिल्ली पहुंचे थे और शक्ति प्रदर्शन किया गया था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है इस बार मंत्री के द्वारा महज एक विभाग छोड़ने की बात है"

प्रेशर की है राजनीति या फिर छवि खराब करने की है कोशिश ?:वहीं विधायकों के द्वारा सिंहदेव के खिलाफ हस्ताक्षर युक्त पत्र देने पर राम अवतार ने कहा कि "यह दबाव की राजनीति है. रामअवतार तिवारी ने कहा कि इस घटना के बाद यह बात भी सामने आ रही है कि पार्टी की छवि खराब करने की कोशिश की जा रही है. आज विधानसभा में भी इस मामले को लेकर हंगामा किया गया जिसकी वजह से कल तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी गई. रामअवतार तिवारी ने कहा कि सिंहदेव के इस्तीफे के बाद भाजपा को बैठे बैठे हैं सरकार को घेरने एक बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है"

कांग्रेस और सरकार की छवि पर पड़ेगा विपरीत प्रभाव: आखिर इस पूरी परिस्थिति का कांग्रेस की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा. इसके जवाब में रामअवतार तिवारी ने कहा कि "स्वाभाविक है कि इस पूरे घटनाक्रम का कांग्रेस की सेहत पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसका दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल सकता है. क्योंकि कांग्रेस के भीतर में मचा घमासान अब सार्वजनिक हो गया है और स्वाभाविक है कि इस तरह की परिस्थितियां किसी भी राजनीतिक दल के लिए अच्छी नहीं होती हैं"


गौरतलब है कि सिंहदेव के पास पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा, बीससूत्रीय, वाणिज्यिक कर (जीएसटी) का प्रभार है। उन्होंने अपने इन विभागों में से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा सौंप दिया है. सिंहदेव अपने प्रभार वाले बाकी विभागों में कैबिनेट मंत्री के रूप में बने रहेंगे.

एक बार फिर छत्तीसगढ़ की सियासी लड़ाई दिल्ली कूच करने वाली है. इस बार इस जंग में कौन बाजी मारता है. यह देखना दिलचस्प होगा. इस मुद्दे पर हालांकि कोई भी कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहा है.

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