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Raipur News : नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति को न्यौता नहीं, टीएस सिंहदेव ने जताई नाराजगी - राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले ही सियासत शुरु हो चुकी है.कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखा गया है. वहीं जब इस भवन की नींव रखी जा रही थी तब भी राष्ट्रपति कोविंद को नहीं बुलाया गया था. कांग्रेस ने इसे राष्ट्रपति का अपमान बताया है.

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नए संसद भवन को लेकर पीएम मोदी पर हमला

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Published : May 22, 2023, 2:29 PM IST

रायपुर : संसद भवन के लोकार्पण के मौके पर देश के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न्यौता नहीं दिया गया है. इस बात को लेकर अब कांग्रेस केंद्र की मोदी सरकार को घेर रही है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं.लेकिन ये आरोप लगाया जा रहा है कि इस उद्घाटन समारोह में ना तो मौजूदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और ना ही पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को न्यौता भेजा गया है. कांग्रेस की माने तो बीजेपी ने ऐसा करके राष्ट्रपति को सिर्फ प्रतीकात्मक रूप में प्रस्तुत किया है.

टीएस सिंहदेव ने भी साधा निशाना : राष्ट्रपति को निमंत्रण ना दिए जाने को लेकर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी मुखर हो गए हैं. सिंहदेव ने ट्वीट करते हुए संसद भवन के लोकार्पण कार्यक्रम में राष्ट्रपति को ना बुलाए जाने को लेकर अपनी बात रखी है. सिंहदेव ने कहा कि सिर्फ एक व्यक्ति के चेहरे को सामने लाने के लिए इस तरह की हरकत की जा रही है.

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टीएस सिंहदेव का ट्वीट : ''भारत में विधायिका के प्रमुख - राष्ट्रपति, भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय - संसद. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत के माननीय राष्ट्रपति को नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. ऐसा पहली बार नहीं है जब बीजेपी सरकार ने ऐसा किया है. यहां तक की राष्ट्रपति कोविंद को भी संसद भवन की नींव रखने के लिए नहीं बुलाया गया था. इन दोनों अवसरों पर, भारत के लिए यह एक महान अवसर होता. दो राष्ट्रपतियों के साथ भारतीय लोकतंत्र के वास्तविक मूल्यों को दुनिया के सामने प्रदर्शित करता, जो वंचित समुदायों के प्रतिनिधि भी हैं. लेकिन,एक अहंकारी और पीआर की लालसा वाली सरकार ने पीएम को इस अद्भुत पल का चेहरा बनाने का फैसला किया है. पूर्वाग्रह की एक स्पष्ट स्थिति और वास्तव में संसद या विधायिका की संपूर्णता का प्रतिनिधित्व नहीं किया है.''

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