रायपुर:छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन में छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी, पूर्व मंत्री डेरहू प्रसाद धृतलहरे, अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री बलिहार सिंह, लोकसभा की पूर्व सांसद रजनीगंधा देवी और भारत-चीन सीमा पर हुई हिंसक झड़प में शहीद जवानों और नक्सल हिंसा में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी गई.
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी समेत दिवगंत नेताओं के व्यक्तित्व, कृतित्व और उनके योगदान का उल्लेख किया. सदन में दिवंगत आत्माओं के सम्मान में दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अजीत जोगी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 'छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वे जीते जी किवदंती बन गए थे. मरवाही जैसे सुदूर अंचल से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होना उनकी जीजीविषा और सक्रियता का परिचायक है. वे चाहे सत्ता में या विपक्ष में रहे प्रदेश की राजनीति उनके इर्दगिर्द रही. जोगी हमेशा कहते थे कि मैं सपनों का सौदागर हूं.'
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, 'उन्होंने विकसित और समृद्ध छत्तीसगढ़ का सपना देखा था. वे हमेशा सर्वहारा वर्ग के हितों के लिए संघर्ष करते रहे. जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाला तब प्रदेश में सूखा पड़ा था. उन्होंने राजस्व और सूखा राहत विभाग का दायित्व मुझे सौंपा था. उस समय कोष खाली था. 15 लाख मजदूरों को लगातार काम देना और उनके भोजन की व्यवस्था करने की चुनौती थी. उनके नेतृत्व में यह काम सफलता पूर्वक किया गया. अच्छे वित्तीय प्रबंधन के साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था की मजबूत नींव रखी. जिसके कारण छत्तीसगढ़ के साथ गठित राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ का तेजी से विकास हुआ.'