रायपुर: वन अधिकार कानून में संसोधन के खिलाफ रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर छत्तीसगढ़ के कई सामाजिक संगठनों ने प्रदर्शन किया. धरना प्रदर्शन कर रहे सामाजिक संगठन को लोगों ने वन अधिकार कानून में बदलाव न करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा है.
वन अधिकार कानून में संशोधन के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन, प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन - संशोधन
वन अधिकार कानून में संसोधन के खिलाफ रायपुर में तमाम सामाजिक संगठनों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया. सामाजिक संगठन कानून में संशोधन का विरोध कर रहे हैं. मामले में 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
धरना स्थल पर बैठे छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, छत्तीसगढ़ किसान मजदूर आंदोलन संघ के साथ लोगों का कहना है कि सरकार आदिवासियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों के साथ अन्याय कर रही है. उन्होंने कहा कि अगर कानून में संशोधन कर दिया जाता है तो लाखों वनवासी बेघर हो जाएंगे. सामाजिक संगठन के लोगों ने सरकार से 2006 में बने वन अधिकार कानून को सही क्रियांन्वयन कर जो हितग्राही बच गए हैं उन्हें इस कानून के तहत उनका हक देने की मांग कर रहे हैं.
आदिवासियों का आरोप है कि केंद्र सरकार वन अधिकार कानून में संशोधन कर जंगलों को कॉर्पोरेट हाउस को देने की योजना बना रही है. सुप्रीम कोर्ट में 13 फरवरी 2019 को वन अधिकार कानून की वैधानिकता पर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने वनवासियों के खिलाफ फैसला देते हुए वनों पर निर्भर आदिवासियों और अन्य परंपरागत वन निवासियों की बेदखली का आदेश दे दिया. जिसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इस पर सुनवाई करते हुए अपने फैसले पर 10 जुलाई 2019 तक रोक लगा दी. मामले में 24 जुलाई को अगली सुनवाई होनी है. इससे पहले तमाम विभिन्न संगठन प्रदर्शन कर सरकार से कानून में संशोधन को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.