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पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति की अनिवार्यता समाप्त, मात्र सूचना देनी होगी - पेड़ो की कटाई के लिए प्रक्रिया

Raipur latest news राज्य शासन द्वारा निजी भूमि पर कृषि के रूप में रोपित वृक्षों और प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई के नियमों को सरल कर दिया है. अब अपनी भूमि में कृषि के रूप में लगाए वृक्षों की कटाई के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी. लेकिन प्राकृतिक रूप से उगे हुए वृक्षों की कटाई के लिए भूमिस्वामी को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को आवेदन देना होगा.tree cutting rules in chhattisgarh

No permission required for felling trees
पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति की अनिवार्यता समाप्त

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Published : Nov 29, 2022, 10:06 PM IST

रायपुर: मुख्यमंत्री की पहल पर राज्य शासन द्वारा निजी भूमि पर कृषि के रूप में रोपित वृक्षों और प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई के नियमों का सरल किया गया है. जिसके अनुसार अब अपनी भूमि में कृषि के रूप में रोपित वृक्षों की कटाई स्वयं कर सकेंगे. पेड़ों की कटाई के लिए अनुमति की आवश्यकता नहीं (No permission required for felling trees) होगी. उन्हें मात्र अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को सूचना देनी होगी. भूमिस्वामी वन विभाग से भी वृक्ष कटवा सकेंगे. Raipur latest news

इसी प्रकार भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगे हुए वृक्षों की कटाई के लिए भूमिस्वामी को अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को आवेदन देना होगा. अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को निर्धारित प्रक्रिया के तहत निश्चित समयावधि में लिखित अनुमति देनी होगी. यदि आवेदक को समयावधि के बाद अनुमति नहीं मिलती, तो वे पेड़ कटाई के लिए स्वतंत्र (felling trees on your land in chhattisgarh) होंगे.



प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई के लिए लेनी होगी अनुमति: प्राकृतिक रूप से उगे वृक्षों की कटाई की अनुमति के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को आवेदन देना होगा. आवेदन देने के 45 कार्य दिवस के भीतर निर्धारित प्रक्रिया के तहत अनुमति देनी होगी. यदि आवेदक को लिखित अनुमति प्राप्त नहीं होती है, तो वे स्मरण पत्र दे सकेंगे. यदि अगले 30 कार्यदिवस के भीतर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से लिखित अनुमति प्राप्त नहीं होती है, तो इसे अनुमति माना जाएगा और भूमिस्वामी वृक्षों की कटाई के लिए स्वतंत्र होगा. इस संबंध में हुए देरी एवं नियमों का उल्लंघन होता है, तो उसके लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व उत्तरदायी होंगे.

वन विभाग के माध्यम से वृक्षों की कटाई: यदि भूमि स्वामी चाहें, तो वन विभाग के माध्यम से भी वृक्षों की कटाई करा सकेंगे. एक कैलेण्डर वर्ष भूमि पर प्राकृतिक रूप से उगे अधिकतम 4 वृक्ष प्रति एकड़ के मान से एवं अधिकतम कुल 10 वृक्षों की कटाई की अनुमति दी जा सकेगी. प्राकृतिक रूप से उगे हुए वृक्षों की कटाई के लिए भूमिस्वामी द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को दिए गए आवेदन के आधार पर राजस्व अधिकारी और वन अधिकारी द्वारा संयुक्त निरीक्षण किया जाएगा. वृक्षों के संबंध में भूमि स्वामी के हक, राजस्व अभिलेखों में पंजीयन, वृक्षों की शुष्कता/परिपक्वता, भूस्वामी के कृषि व्यवसाय की अपरिहार्यता आदि को शामिल करते हुए निरीक्षण प्रतिवेदन 30 कार्यदिवस में दिया जाएगा.

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निर्धारित प्रारूप में देना होगा आवेदन: इसी प्रकार जमीन के मालिक अपनी जमीन में कृषि के रूप में रोपित पेड़ो की कटाई राजस्व अभिलेखों में पंजीयन के आधार पर करवा सकेंगे. कटाई से एक माह पूर्व अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं वन परिक्षेत्र अधिकारी को कटाई का कारण, प्रजाति एवं संख्या की सूचना निर्धारित प्रारूप में देना आवश्यक होगा.



पेड़ों की कटाई के लिए प्रक्रिया:जमीन मालिक द्वारा लिखित में इच्छा व्यक्त किए जाने पर उसकी भूमि में कृषि के रूप में लगाए पेड़ों और प्राकृतिक रूप से उगे पेड़ों की कटाई वन विभाग द्वारा की जा सकेगी. वन विभाग को आवेदन की प्राप्ति के 30 कार्य दिवस के भीतर वन मण्डलाधिकारी वृक्षों की कटाई एवं डिपो तक दर सुनिश्चित करते है. निर्धारित दर पर लकड़ी का मूल्य परिगणित किया जायेगा. राज्य के अनुसूचित जनजाति वर्ग के जमीन मालिकों के लिए छत्तीसगढ़ आदिम जनजातियों का संरक्षण (वृक्षों में हित) अधिनियम 1999 के प्रावधानों के तहत कुल मूल्य का 95 प्रतिशत राशि भूमि स्वामी के बैंक खाते में निक्षेपित कराएगा. शेष 05 प्रतिशत राशि वन विभाग के निर्धारित खाते में जमा की जाएगी. जमा राशि से प्रत्येक काटे जाने वाले वृक्ष के 05 गुना की संख्या में वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण एवं उनका संरक्षण किया जाएगा.

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