रायपुर:कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न राज्यों सहित छत्तीसगढ़ की भी आर्थिक स्थिति (Economic condition of Chhattisgarh) चरमरा गई है. जहां एक तरफ राज्य सरकार के खजाने में राजस्व की वसूली (collection of revenue) नहीं हो पा रही है. वहीं दूसरी ओर कोरोना के कारण खर्चा बढ़ गया है. खासकर यह खर्चे स्वास्थ्य के क्षेत्र में ज्यादा किए गए हैं. आलम ये है कि अब सरकार को प्रदेश की विभिन्न योजनाओं और कार्यों को पूरा करने के लिए एक के बाद एक कर्ज लेना पड़ रहा है.
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कोरोना (corona) काल में लॉकडाउन लगाए जाने के बाद राज्य की आर्थिक स्थिति कैसी है ? इससे उबरने के लिए राज्य सरकार की क्या तैयारी है ? साथ ही विपक्ष सरकार की वर्तमान आर्थिक स्थिति को लेकर क्या सोचता है ?
कोरोना काल के दौरान राजस्व प्राप्ति पर पड़ा असर
कोरोना के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के बाद राज्य के राजकीय कोष (state treasury) पर इसका खासा प्रभाव पड़ा है. प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर हनुमंत यादव ने ETV भारत से बताया कि लॉकडाउन के दौरान सभी प्रतिष्ठान, उद्योग धंधे, व्यापार और कल कारखाने बंद रहे. जो उद्योग धंधे और कारखाने चालू भी रहे, उनके उत्पादन पर खासा प्रभाव पड़ा. जिस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रही. यही वजह रही कि इनसे राज्य सरकार को राजस्व की उतनी प्राप्ति नहीं हुई, जितनी सामान्य दिनों में होती थी. या फिर यूं कहें कि लॉकडाउन के दौरान राजस्व नाम मात्र का ही रह गया था.
लॉकडाउन में राज्य सरकार के खर्चे बढ़े
जहां एक और लॉकडाउन की वजह से राजस्व की प्राप्ति कम हो रही थी. वहीं सरकार के खर्चे लगातार बढ़ रहे थे. खासकर कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार के सामने स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए ज्यादा संसाधन के साथ-साथ दवाइयों सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं जुटाना बड़ी चुनौती थी. इस पर राज्य सरकार का काफी बड़ा हिस्सा खर्च हुआ है. अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने सहित ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर भी सरकार ने जोर दिया. साथ ही वर्तमान में वैक्सीनेशन सहित अन्य व्यवस्थाओं को करने के लिए भी सरकार लगातार खर्च कर रही है. लॉकडाउन के दौरान लोगों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने पर भी सरकार की तरफ से अच्छा खासा बजट खर्च किया गया.
कई योजनाओं पर लगातार किया जा रहा है करोड़ों रुपए खर्च
कई ऐसे खर्चे हैं. जो लगातार जारी हैं. धान समर्थन मूल्य के अंतर की राशि के लिए राजीव गांधी न्याय योजना (Rajiv Gandhi Nyay Scheme), गोबर खरीदी के बाद गोधन न्याय योजना (godhan nyay yojana) और विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों और पशुपालकों के खाते में सीधे राशि का भुगतान करना. इसके अलावा भी कई ऐसी योजनाएं हैं, जिसका क्रियान्वयन लगातार जारी है और उस पर भी सरकार भारी भरकम रकम खर्च कर रही है.
शासकीय उपक्रमों और दफ्तरों के रखरखाव सहित वेतन और पेंशन का खर्च
शासकीय उपक्रमों, दफ्तरों के रखरखाव सहित अधिकारी और कर्मचारियों के वेतन में भी बहुत बड़ी राशि सरकार को हर महीने खर्च करनी पड़ती है. साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत दी जाने वाली पेंशन की राशि भी कहीं ज्यादा होती है. इन सारे खर्चे का भुगतान भी राज्य सरकार को करना पड़ता है. जो लॉकडाउन के दौरान भी जारी रहा.
कई निर्माण कार्य भी रहे जारी
कई निर्माण कार्य जिन्हें लॉकडाउन के दौरान रोकना संभव नहीं था. जैसे सड़कों का निर्माण, जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाना और पानी टंकी निर्माण इन सब पर भी सरकार लगातार खर्च करती रही.
कोरोना काल में खाली हुआ सरकारी खजाना
कोरोना और लॉकडाउन के कारण सरकार का खजाना लगातार खाली होता रहा. इस दौरान सरकार के पास विभिन्न स्त्रोतों से मिलने वाल टैक्स मिलना बंद हो गया. आमदनी के अनुपात में सिर्फ नाम मात्र की कर वसूली होती रही. वाणिज्य कर से राज्यों की आय, जीएसटी से राज्य का हिस्सा, उत्पादन शुल्क राजस्व टिकट, पंजीकरण परिवहन अन्य कर, गैर कर, राजस्व आय, केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि नाम मात्र की रह गई. वर्तमान में इसका प्रतिशत बताना तो संभव नहीं है, लेकिन आम दिनों की अपेक्षा यह कर वसूली कुछ प्रतिशत ही रह गई थी.
कर वसूली अभियान सरकार ने किया तेज
हालांकि अनलॉक के बाद एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार लंबित कर की वसूली सहित वर्तमान कर की वसूली में जुट गई है. राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने पर लगातार जोर दे रही है. बीते दिनों समीक्षा बैठक के दौरान राज्य के संसाधनों से राजस्व वृद्धि पर जोर देने अफसरों को निर्देशित भी किया जा चुका है.
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