रायपुर: शादी के बाद दूल्हा और दुल्हन के बीच बहुत सारी रस्में निभाई जाती है. जिसमें कंकण मौर, सतनारायण की कथा, भजन, कीर्तन और अंगूठी को ढूंढना, कौड़ी ढूंढना, सिक्का ढूंढना शामिल है. जिसमें से एक होता है. अंगूठी को फूलों से सजी एक ट्रे में छुपाया जाता है. जो दूल्हा और दुल्हन को खोजने के लिए परंपरा है. जिसे हंसते मुस्कुराते उस अंगूठी को दूल्हा और दुल्हन ढूंढते हैं. फूलों से सजी ट्रे में छुपी अंगूठी को जो पहले ढूंढ लेता है वह विजयी होता है.
दूल्हा और दूल्हन के बीच होता है अंगूठी तलाशने का मुकाबला
स्नानादि से निवृत्त होने के बाद नव जोड़ी को अनेक रस्मों का पालन करना होता है. जिसमें अंगूठी को फूलों से सजी एक ट्रे में छुपाया जाता है. भिन्न-भिन्न रंगों के फूलों से ट्रे सजाई जाती है और उसमें अंगूठी को छुपा दिया जाता है. दूल्हा-दुल्हन दोनों ही इसे खोजने के लिए उत्सुक रहते हैं. दोनों ही हाथ डालकर ट्रे में से अंगूठी को ढूंढने का प्रयास करते हैं. इस समय नजदीकी रिश्तेदार और सगे संबंधी दो पक्षो में बंट जाते हैं. कुछ लोग दुल्हन का समर्थन करते हैं और कुछ लोग दूल्हे का समर्थन करते हैं. यह आनंद उत्सव और महोत्सव के रूप में बदल जाता है. यह परंपरा आदि काल से चली आ रही है. इसके माध्यम से नव दुल्हन को घर में नए परिवेश में और नए माहौल में एक अच्छे ढंग से जगह मिल जाती है. इस दरमियान हंसी मजाक और मनोविनोद होता है.