रायपुर: स्नान करना एक महान सनातन परंपरा है. पूजा के दौरान अह्वान में देवी देवताओं को भी पूजन में स्नान कराने की परंपरा (Tradition Of Bathing) है. यह स्नान गंगा जल (Ganges water), शुद्ध जल पवित्र जल और हल्दी मिश्रित जल से भी कराया जाता है. स्नान का वैदिक परंपरा में विशेष महत्व माना गया है. इसी कड़ी में दूल्हा और दुल्हन को भी विवाह के बाद स्नान कराने का विधान है.
वर-वधु को उबटन हल्दी लगाने का रिवाज
ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री (Astrologer and Vastu Shastri) विनीत शर्मा बताते हैं कि विवाह के बाद दूल्हा और दुल्हन को कई स्थानों पर एक साथ स्नान कराने की परंपरा है. प्रायः ननद अपनी नई भाभी को उबटन हल्दी चंदन और अन्य औषधीय गुणों से युक्त पदार्थ को अपनी भाभी को लगाती हैं. इसी तरह वर अपने शरीर में सुगंधित औषधीय गुणों से युक्त तत्वों को अपने शरीर में उबटन के रूप में लगाते हैं. जैसे बेसन हल्दी आदि कई स्थानों पर वर और वधु को बंधन बांधकर स्नान कराया जाता है. कई मान्यताओं के अनुसार यह स्नान दोनों पति पत्नी एक साथ करते हैं और इसे भी एक उत्सव परंपरा और आनंद के रूप में मनाया जाता है.