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शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को स्नान की परंपरा और उसका महत्व

हिंदूस्तान में शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को कई स्थानों पर एक साथ स्नान कराने की परंपरा (Tradition Of Bathing) है. ननद अपनी नई भाभी को उबटन हल्दी चंदन और अन्य औषधीय गुणों से युक्त पदार्थ को अपनी भाभी को लगाती हैं. इसी तरह वर अपने शरीर में सुगंधित औषधीय गुणों से युक्त तत्वों को अपने शरीर में उबटन के रूप में लगाते हैं.

The tradition of bathing the bride and groom before the wedding
शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को स्नान की परंपरा

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Published : Dec 7, 2021, 8:03 PM IST

रायपुर: स्नान करना एक महान सनातन परंपरा है. पूजा के दौरान अह्वान में देवी देवताओं को भी पूजन में स्नान कराने की परंपरा (Tradition Of Bathing) है. यह स्नान गंगा जल (Ganges water), शुद्ध जल पवित्र जल और हल्दी मिश्रित जल से भी कराया जाता है. स्नान का वैदिक परंपरा में विशेष महत्व माना गया है. इसी कड़ी में दूल्हा और दुल्हन को भी विवाह के बाद स्नान कराने का विधान है.

शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को स्नान की परंपरा

वर-वधु को उबटन हल्दी लगाने का रिवाज

ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री (Astrologer and Vastu Shastri) विनीत शर्मा बताते हैं कि विवाह के बाद दूल्हा और दुल्हन को कई स्थानों पर एक साथ स्नान कराने की परंपरा है. प्रायः ननद अपनी नई भाभी को उबटन हल्दी चंदन और अन्य औषधीय गुणों से युक्त पदार्थ को अपनी भाभी को लगाती हैं. इसी तरह वर अपने शरीर में सुगंधित औषधीय गुणों से युक्त तत्वों को अपने शरीर में उबटन के रूप में लगाते हैं. जैसे बेसन हल्दी आदि कई स्थानों पर वर और वधु को बंधन बांधकर स्नान कराया जाता है. कई मान्यताओं के अनुसार यह स्नान दोनों पति पत्नी एक साथ करते हैं और इसे भी एक उत्सव परंपरा और आनंद के रूप में मनाया जाता है.

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इसके बाद वर और वधू तैयार होकर सतनारायण की कथा अथवा अन्य मान्य परंपराओं का निर्वहन करते हुए कथा कीर्तन श्रवण आदि करते हैं. इससे शुद्धिकरण का बोध होता है. इससे निर्मलता स्वच्छता और सकारात्मकता फैलती है. नवीन वर वधू आपस में एक दूसरे के प्रति गरिमा के साथ आकर्षित होते हैं.

पवित्र नदियों के जल से शुद्धीकरण

विवाह मंडप (Marriage Hall) में भी पूजन आदि कराते समय जल से वर और वधू को शुद्धोधक स्नान आदि कराया जाता है. यह स्नान शुद्ध जल से गंगा मिश्रित जल से अथवा नर्मदा, गोदावरी और सरस्वती आदि नदियों के जल से या अन्य पवित्र स्थानों के जल से पूजन में वर और कन्या दोनों को ही उचित रूप से मंत्रों के साथ वैदिक रीति रिवाजों के अनुसार दूब से बने लकड़ी से स्नान कराया जाता है.

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