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रायपुर: छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियन ने भी दिया देशव्यापी हड़ताल को समर्थन

ट्रेड यूनियन के संयुक्त आह्वान पर 26 नवंबर को देशभर में हड़ताल की गई. इस हड़ताल को छत्तीसगढ़ ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने भी अपना समर्थन दिया है.

Chhattisgarh trade union strike
छत्तीसगढ़ ट्रेड यूनियन की हड़ताल

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Published : Nov 26, 2020, 6:19 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 6:30 PM IST

रायपुर: ट्रेड यूनियन के संयुक्त आह्वान पर 26 नवंबर को देशभर में हो रही हड़ताल को छत्तीसगढ़ के ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच ने भी अपना समर्थन दिया है. छत्तीसगढ़ के तमाम ट्रेड यूनियन ने 26 नवंबर को प्रदेशभर में धरना-प्रदर्शन और काम बंद करके हड़ताल किया. राजधानी रायपुर में सप्रे शाला में ट्रेड यूनियन के बैनर तले हड़ताल को इंटक, एचएचएस, एटक, सीटू, एक्टू, केंद्रीय कर्मचारी संगठन, बीएसएनएल एलआईसी, बैंक एंप्लाइज यूनियन, छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, इंद्रावती कर्मचारी संघ, आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ जैसे कई कर्मचारी संगठनों ने अपना समर्थन दिया.

छत्तीसगढ़ ट्रेड यूनियन की हड़ताल

सफल रहा हड़ताल

ट्रेड यूनियन के संयुक्त मंच के संयोजक धर्मराज महापात्रा ने बताया कि 26 नवंबर को मोदी सरकार की मजदूर विरोधी-किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ देशभर में हड़ताल किया गया था. उन्होंने कहा कि ये हड़ताल सफल रही है. छत्तीसगढ़ में तमाम बड़े सेक्टर में काम बंद रहा है. श्रमिकों और मेहनतकशों के सभी वर्ग कड़े संघर्ष से हासिल अपने अधिकारों और सुविधाओं के लिए मजबूती से लड़े हैं.

पढ़ें:बिलासपुर: ट्रेड यूनियन का प्रदर्शन, केंद्र की नीतियों के खिलाफ एकजुट हुआ यूनियन

पहले भी था हड़ताल का इरादा

इससे पहले देश की रक्षा संस्थानों के कर्मचारी भी रक्षा उद्योग के निजीकरण के खिलाफ 12 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के लिए तैयार थे, हालांकि वे सरकार के आश्वासन के बाद हड़ताल को स्थगित कर दिया था. ट्रेड यूनियन ने किसानों के लिए कृषि कानून को भी वापस लेने की मांग की है. संयुक्त ट्रेड यूनियन ने कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर देश के किसी भी हिस्से में किसी भी रूप में जारी उनके संघर्ष के लिए एकजुटता का समर्थन और अभिव्यक्ति जारी रखेगा.

मजदूर विरोधी-किसान विरोधी है सरकार!

संयुक्त ट्रेड यूनियन ने कहा कि देशभर में तमाम सरकारी बड़े सेक्टर को निजीकरण किया जा रहा है. जो मजदूरों और आम लोगों का विरोधी है. बीमा, रक्षा, बैंक, रेल, कोल सबका निजीकरण किया जा रहा है. अर्थव्यवस्था संकट में है. आज रोजगार के मामले में 14 करोड़ से भी अधिक बेरोजगार रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. श्रमिकों के शोषण के लिए उनके सुविधाओं में कटौती, वेतन, महंगाई भत्ते पर रोक जैसे कदम उठाए जा रहे हैं. श्रमिकों को प्राप्त संवैधानिक अधिकारों को कुचलने के लिए लेबर कोड पारित कर दिया गया है. इसी प्रकार किसानों की उपज का वाजिब दाम देने को मजबूत करने और किसानों के फसलों के न्यूनतम दाम को संरक्षित करने के बजाय उन्हें बाजार पर छोड़ने के लिए किसान विरोधी बिल भी पारित कर दिया गया है.

Last Updated : Nov 26, 2020, 6:30 PM IST

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