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प्रयागराज: मकर संक्रांति के मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई डुबकी

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम तट पर भारी संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. मकर संक्रांति के अवसर पर शुरू हो रहे माघ मेले में आस्था कहीं न कहीं ठंड और कोरोना पर भारी दिख रही है.

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संगम में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

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Published : Jan 14, 2021, 11:24 AM IST

प्रयागराज: आज मकर संक्रांति का पर्व देशभर में मनाया जा रहा है. सुबह 8:16 पर सूर्यदेव धनु राशि की यात्रा समाप्त करके मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी. वहीं आस्था की धरती कहे जाने वाले प्रयागराज के संगम तट पर सुबह 4 बजे से ही लोगों का आना शुरू हो गया. श्रद्धालु यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर मोक्ष की डुबकी लगा रहे हैं. साथ ही माघ मेले में आने वाले लोगों को कोविड-19 की गाइडलाइन का भी पालन कराया जा रहा है.

संगम में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी

प्रयागराज के संगम तट पर लगे आस्था के सबसे बड़े आयोजन माघ मेले का आज स्नान पर्व शुरू हो गया है. कोरोना के बाद भी आस्था भारी दिख रही है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां मोक्षदायिनी गंगा में स्नान के साथ ही दान-पुण्य कर मोक्ष की कामना कर रहे हैं.

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संगम पर मकर संक्रांति का स्नान सुबह चार बजे से ही शुरू हो चुका है. कोहरे और ठंड के बावजूद सुबह से ही यहां पर लोग आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं. ठंड और मौसम खराब होने के बाद भी संगम में डुबकी लगाने बड़ी तादाद में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. संगम क्षेत्र में सूर्य के बादलों से ढके रहने के बावजूद सूर्य उपासना के उत्साह में यहां कोई कमी देखने को नहीं मिल रही है. त्रिवेणी के जल में आस्था की डुबकी लगाकर​ हर कोई पुण्य अर्जित करना चाहता है. मान्यता है कि आज के दिन गुड़, तिल, उडद, चावल, फल और फूल दान करने से कई वर्षों के पुण्य मिलते हैं.

श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने चाक चौबंद प्रबंध किये हैं. आज से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. सूर्य के गोचर से ही मकर संक्रांति की तिथि निर्धारित होती है. मान्यताओं के अनुसार आज से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है और जो संयोग बनता है उस संयोग में स्नान करने से कई जन्मों का लाभ प्राप्त होता है. सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग संगम किनारे बसे माघ मेले में पहुंचकर गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर मोक्ष की डुबकी लगा रहे हैं.

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