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क्या छत्तीसगढ़ में खत्म हो जाएगा तीसरे मोर्चे का वजूद, आप में इस्तीफों के बाद उठे सवाल - थर्ड पार्टी का अस्तित्व

third front: छत्तीसगढ़ में तीसरे मोर्चे का वजूद अब ढलान की ओर है. प्रदेश में हुए चुनावो के आंकड़ों पर नजर डाले तो यहां तीसरे मोर्चे का अस्तित्व हर साल घटता जा रहा है. साल 2023 के विधानसभा चुनाव में ये बातें फिर एक बार साबित हुई है. आम आदमी पार्टी में इस्तीफों और जेसीसीजे के बिखराव के बाद यह सवाल फिर उठ रहा है कि तीसरा मोर्चा छत्तीसगढ़ में कितना कारगर है.

third parties Existence in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में तीसरा मोर्चा कितना कारगर

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 17, 2024, 11:02 PM IST

छत्तीसगढ़ में तीसरा मोर्चा कितना कारगर ?

रायपुर:छत्तीसगढ़ में लगातार भाजपा या फिर कांग्रेस की सरकार बनती रही है. राज्य बनने के बाद हुए विधानसभा चुनाव में तीन बार भाजपा की और एक बार कांग्रेस की सरकार बनी. वहीं, लोकसभा चुनाव में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर देखने को मिलता है. यानी कि प्रदेश में दो प्रमुख पार्टी बीजेपी और कांग्रेस का ही अस्तित्व है. वहीं, थर्ड पार्टी यानी की तीसरे मोर्चे का अस्तित्व नहीं है.

इसके अलावा ना तो कोई अन्य राजनीतिक दल छत्तीसगढ़ में सक्रिय नजर आया और न ही क्षेत्रीय पार्टियां दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतर सकी. 2018 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो राज्य बनाने के बाद से लेकर अब तक कोई भी राजनीतिक दल एक दो सीट से ज्यादा सीटों पर चुनाव नहीं जीत सकी है. कई पार्टियों का तो खाता भी नहीं खुलता है.

विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे का प्रदर्शन नहीं रहा खास:साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जेसीसीजे ने छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. इसके बाद यह लगने लगा था कि जेसीसीजे छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय दल के रूप में आने वाले समय में बेहतर प्रदर्शन करेगी. लेकिन अजीत जोगी के निधन के बाद पार्टी बिखरती नजर आई. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जेसीसीजे का खाता भी नहीं खुला.

इन पार्टियों को भी नहीं मिली एक भी सीट:जीसीसीजे के बाद बसपा ही एक ऐसी पार्टी रही है, जो पिछले के चुनावो में एक या दो सीट जीतती आ रही थी. लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में उसका भी सूपड़ा साफ हो गया. आम आदमी पार्टी का भी छत्तीसगढ़ में खाता नहीं खुला. वहीं, सर्व आदिवासी समाज की पार्टी हमर राज पार्टी को भी चुनाव में जगह नहीं मिली. अन्य सियासी दलों को भी वहीं हाल रहा. प्रदेश में महज गोंगपा ने इस बार चुनाव में एक सीट हासिल की. हालांकि अन्य थर्ड पार्टी का सूपड़ा साफ रहा.

जानिए पॉलिटिकल एक्सपर्ट की राय: इस बारे में ईटीवी भारत ने पॉलिटिकल एक्सपर्ट उचित शर्मा से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, "साल 2003 को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद कोई बड़े बदलाव छत्तीसगढ़ की सियासत में देखने को नहीं मिले. एनसीपी, जीसीसीजे, आम आदमी पार्टी, गणतंत्र गोंडवाना पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाज पार्टी सहित कई पार्टियों ने प्रदेश में अपना दम दिखाया. हालांकि मुख्य टक्कर भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रही. पिछले तीन-चार चुनाव को देखा जाए तो सबसे ज्यादा वोट बीजेपी और कांग्रेस को मिली. जबकि 8-9 फीसदी वोट अन्य पार्टियों के खाते में आती रही. विधानसभा चुनाव 2023 की बात की जाए तो, इस चुनाव में कांग्रेस के वोट प्रतिशत कम नहीं हुए हैं. बल्कि भाजपा के वोट प्रतिशत बढ़े हैं. उन्होंने यह वोट थर्ड फ्रंट से खींचे हैं. अब ऐसा लगने लगा है कि छत्तीसगढ़ में थर्ड फ्रंट की गुंजाइश कम रह गई है. या फिर ना के बराबर है."

छत्तीसगढ़ में हुए पिछले चुनावों पर अगर हम गौर करें तो मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही रहा है. वहीं, इस मामले में पॉलिटिकल एक्सपर्ट भी अन्य पार्टियों के अस्तित्व के खत्म होने की बात कह रहे हैं. ऐसे में देखना होगा कि लोकसभा चुनाव में थर्ड फ्रंट का कितना वजूद रहता है.

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