रायपुर: छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री का बुलबुला फूट सकता है. टीएस सिंहदेव के समर्थकों को मायूसी हाथ लग सकती है. विपक्ष की अटकलों पर विराम लग सकता है और चर्चाओं का बाजार ठंडा पड़ सकता है. पिछले ढाई साल से छत्तीसगढ़ के सियासी गलियारे में एक सियासी समझौते की बात अक्सर उठती है कि पंद्रह साल बाद छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस पहले ढाई साल भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाएगी और इसके बाद ढाई साल के लिए सत्ता की चाबी टीएस सिंहदेव को सौंपी जा सकती है. ये ढाई साल 17 जून को पूरे हो रहे हैं. ETV भारत ने इस फॉर्मूले की पड़ताल अपने सूत्रों द्वारा की. छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक हमने कांग्रेस सूत्रों से बात की, जिससे साफ हो गया है कि फिलहाल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन जैसे किसी समीकरण पर कांग्रेस आलाकमान नहीं सोच रहा है. भूपेश बघेल पर पार्टी नेतृत्व का पूरा भरोसा है और उनके पास ही प्रदेश की सत्ता रहेगी.
पुनिया के दौरे के बाद तेज हुई गहमागहमी
भूपेश सरकार के ढाई साल पूरे होने से ठीक पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे, उनका ये दौरा काफी अंतराल के बाद हुआ. इससे भी एक बार माहौल बना दिया गया कि पुनिया का ये दौरा सियासी भूचाल ला सकता है. राजीव भवन में एक बैठक में शामिल होने पहुंचे भूपेश बघेल से जब पत्रकारों ने इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि ये ढाई साल का फॉर्मूला क्या है उन्हें नहीं मालूम है. इससे पहले पीएल पुनिया ने भी दो टूक कह दिया था कि ऐसी कोई बात नहीं हैं वे जब यहां आते हैं तभी इस तरह की बातें सुनने में आती है.
ढाई-ढाई साल सीएम के फॉर्मूले पर हंस पड़े बघेल- कहा 'ये क्या है, मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता'
आइए अब आपको बताते हैं कि कब और कैसे जन्म लिया इस कथित फॉर्मूले ने ?
दरअसल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी बढ़त मिली, 15 साल से सत्ता पर काबिज रमन सरकार का सूपड़ा साफ हो गया था. कांग्रेस ने ये चुनाव तत्कालीन पीसीसी चीफ भूपेश बघेल और वरिष्ठ नेता टीएस सिंहदेव की अगुवाई में लड़ा था. इस जीत के बाद पार्टी आलाकमान के सामने सत्ता सौंपने की चुनौती खड़ी हो गई थी. पार्टी के 4 बड़े नेता भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत और ताम्रध्वज साहू को दिल्ली बुलाया गया.